
मुज़फ्फरपुर: श्री योग वेदान्त सेवा समिति मुजफ्फरपुर के तत्वावधान में एक दिवसीय अंतर जिला सेवा साधना प्रशिक्षण शिविर का आयोजन शहनाई विवाह भवन, आमगोला, ओरिएंट क्लब, मुजफ्फरपुर में आयोजित किया गया।

इस शिविर में मुजफ्फरपुर सहित सीतामढ़ी , मोतिहारी , बेतिया,दरभंगा , मधुबनी ,समस्तीपुर, छपड़ा,सारण ,के श्री योग वेदान्त सेवा समिति के कार्यकारणी समूह के साधको को साधना और सेवा के विभिन्न आयामों का प्रशिक्षण दिया गया । शिविर में विद्यार्थियों के लिए भिन्न भिन्न तरह के आसन और मुद्रा का उपयोग सिखाया गया साथ ही भारतीय संस्कृति और सभ्यता के संवर्धन और संरक्षण के गुर सिखाए गए।
सर्वप्रथम गुरु पूजन ,वंदन के कार्यक्रम में परम पूज्य गुरुदेव श्री आशारामजी बापूजी के श्री चित्र एवं पादुका जी का पंचोपचार विधि से पूजन वंदन करके श्री आशारामायन जी का पाठ किया गया। तत्पश्चात त्रिबंध , अनुलोम विलोम,भ्रामरी प्राणायाम के प्रशिक्षण के पश्चात योग और आसन को पूर्ण विस्तार से बताया गया।

अखिल भारतीय श्री योग वेदान्त सेवा समिति, अहमदाबाद के प्रतिनिधि एवं ऋषि प्रसाद पत्रिका के बिहार और झारखंड के प्रभारी संदीप भाई ने बताया कि योगासन योग का एक छोटा भाग मात्र है, आत्मा से परमात्मा को जोड़ने का हर सूत्र अपने आप में योग है ।
योगासन के संबंध में उन्होंने कहा कि कुल आसनों की संख्या 84000 है जिसमे 84 प्रमुख हैं

योगासन के भिन्न भिन्न प्रकार और भिन्न भिन्न भाग है , योगासन के 6 प्रमुख भागो की विस्तार से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भुजंगासन , मयूरासन और मत्स्यासन जैसे आसन पशुवत आसन है तो हलासन, धनुरासन वस्तुवत आसन है। ताड़ासन , पर्वतासन जैसे आसन प्रकृति आसन है तो शीर्षासन और शवासन जैसे आसन अंग मुद्रावत आसन है। महावीरासन, धुर्वासन , सिद्धासन जैसे आसन योगीनाम आसन तो समकोणासन और त्रिकोणासन जैसे आसन गणितीय आसन में आते है उन्होंने बताया की साधना के क्षेत्र में ऊंचाई पर जानेवाले को योगिनाम आसन से बहुत लाभ होता है ।

योग और आसन के पश्चात अगली कड़ी में आध्यात्मिक मुद्रा के संबंध में चर्चा आरंभ हुआ,
चर्चा को आरंभ करते हुए संदीप भाई ने कहा कि अंगुलियों में बना चक्र धर्म चक्र का प्रतिनिधित्व करता है, मुद्रा का नियमित अभ्यास से सिद्धि मिलती है और मन की स्थिति उच्च स्थिति पर पहुंच जाती है और आध्यात्मिक यात्रा का पथ सुगम हो जाता है।
संदीप भाई ने बताया कि जब हम किसी को हाथ जोड़कर प्रणाम करते हैं तो ये भी एक मुद्रा है और इसे अंजलि मुद्रा कहा जाता हैं। तीसरे विषयवस्तु के रूप में मंत्रो के रहस्यमय जगत में प्रवेश हुआ , मंत्रो के बारे में चर्चा आरंभ करते हुए उन्होंने कहा कि – ” मनः तारयति इति मंत्रः” मंत्रार्थ भावनं जपः”
उन्होंने मंत्रो के भी भिन्न भिन्न भाग और भिन्न भिन्न प्रकार बताए । विशेषरूप से उन्होंने आध्यात्मिक मुद्रा के साथ बीज मंत्रो के जाप का विस्तार से वर्णन किया। तत्पश्चात साधकों द्वारा पूज्य गुरुदेव श्री आशारामजी बापूजी के मंत्र दीक्षित साधकों द्वारा जापमाला एवं पूजा के आसनी का पूजन किया।
पीपल के पत्तो से अष्टदल कमल बनाकर जापमाला का पंचोपचार विधि से पूजन कर के भक्तजन अपने आप को धन्य धन्य महसूस कर रहे थे


तो हल्दी और अक्षत के साथ पूजा के आसनी का पूजन का अनोखा अनुभव भी ले रहे थे । तत्पश्चात साधकों द्वारा 1008 दीप जलाकर अपनी आध्यात्मिक उन्नति एवं समाज में आध्यात्मिक चेतना के प्रसार प्रसार का संकल्प लिया। फिर शुरू हुआ भजन और कीर्तन का दौर
राघवेन्द्र भाई ने –
“साधकों की ये हरि ॐ टोली,
झुकनेवाली ये टोली नही है” ने मस्ती का भाव
तो संजय पांडेय के भजन
” दरबार में सच्चे सदगुरु के
दुख दर्द मिटाए जाते हैं
दुनिया के सताए लोग यहां
सीने से लगाए जाते हैं “
ने भक्तो को भाव विभोर कर दिया । महाआरती में समिति के सचिव जीतेंद्र भाई ने श्री चित्र का तो समिति के महामंत्री प्रभात कुमार प्रभाकर ने पादुका जी की मुख्य आरती की । अनुराधा ,ज्ञानी , रागनी , चित्रलेखा बहन ने प्रसाद वितरण की कमान संभाली तो संजय सिंह,बद्री भाई , महेन्द्र भाई , सुनील भाई ,संजीव भाई , मायाशंकर भाई ने महाप्रसाद की कमान संभाली। आगत अतिथिओ के स्वागत की कमान सत्येंद्र कुमार दत्त और नवल किशोर झा , रविशंकर जी , रेवती रमण कर्ण ने संभाल रखा था।

कार्यक्रम के अंत में श्री योग वेदान्त सेवा समिति मुजफ्फरपुर के महामंत्री श्री प्रभात कुमार प्रभाकर द्वारा सभी साधकों से ये संकल्प कराया गया कि आम लोगो के बीच आध्यात्म के गूढ़ रहस्यों का प्रचार प्रसार करते हुए भारत को विश्वगुरु बनाने का सपना हम सब को साकार करना है ।