
बदल रहा है भारत, इस बदलाव की वाहक बनी हैं वे महिलाएं जिनका नजरिया चौंकाता है, जिनके सपने अंधियारे को चीरकर रोशनी बिखेर रहे हैं। रोमांचित करने वाली और हर हाल में उठ खड़े होने की आस जगा देने वाली है इनकी कहानी। हम बात कर रहे हैं बैरिया की रहने वाली अंजली जैसी महिलाओं की, जो समाज के उस तबके से आती हैं, जिन्हेंं पिछड़ा और असहाय समझा जाता है, लेकिन वे अब ऐसी मान्यताओं और पूर्वाग्रहों को धता बताकर न केवल अपनी राह में आने वाली बाधाओं से पार पा चुकी हैं, बल्कि अपने जैसी अन्य महिलाओं को भी आगे बढऩे में सहयोग करते हुए अपनी नेतृत्व क्षमता को बखूबी साबित कर रही हैं।

मुज़फ्फरपुर के बैरिया स्थित राजनंदनी बुटीक केंद्र एंड लेडीज टेलर्स के केंद्र पर कई महिलाएं सिलाई, कढ़ाई, पीको का काम सीख रही हैं. हालांकि, ट्रेनिंग ले रही महिलाओं में से कई महिलाओं ने बताया कि वह लोग पहले अपने घर पर बेरोजगार बैठा करती थीं और अपना खाली समय फिजूल की बातों में बिता देती थीं. इससे उन्हें कुछ सीखने को नहीं मिलता था और ना ही कोई कमाई होती थी. अब सभी महिलाएं अपने खाली समय का उपयोग करती हैं और नए काम सीखकर पैसे भी कमा लेती हैं.

अंजली ने तिरहूत न्यूज से बात चीत में बताया कि शुरू के दिनों में बड़ी संघर्ष करना पड़ा था, लेकिन परिवार की मजबूरी ने आज मुकाम तक पहुंचा दिया है। आज मेरे काम की चर्चा खूब होती है ।

अंजलि से जुड़ी कोई महिला महीने में पांच हजार रुपये कमा रही है तो कोई 25 हजार। एक समय जो परिवार साथ नहीं दे रहा था, वह भी आज उनके साथ काम के लिए जाता है। खास बात यह है कि मीनू दो सौ से अधिक मास्टर ट्रेनर भी तैयार कर चुकी हैं, जो महिलाएं कभी घर से नहीं निकलती थीं, वे अंजलि की मदद से आज शान के साथ अपने परिवार के लिए आय जुटा रही हैं।

इन महिलाओं की कहानियां हमें यह याद दिलाती हैं कि महिला सशक्तिकरण केवल आर्थिक स्वतंत्रता नहीं है, बल्कि यह समाज में उनकी भूमिका को भी बदलना है। विश्व बैंक के अनुसार, सामाजिक संबंधों के अभाव में औरतों को कई स्तर पर नुकसान उठाना पड़ता है

बैरिया की अंजली और उनकी साथी महिलाएं एक अनोखी मिसाल पेश कर रही हैं। वे न सिर्फ अपने लिए बल्कि अपने समुदाय के लिए भी एक प्रेरणा बन गई हैं। एक समय जहां उन्हें बेरोजगार और असहाय समझा जाता था, वहीं आज वे अपने हुनर से न सिर्फ आत्मनिर्भर बनी हैं बल्कि अन्य महिलाओं को भी सशक्त बना रही हैं।

सिलाई और कढ़ाई का काम सीखकर ये महिलाएं न सिर्फ आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं बल्कि सामाजिक रूप से भी सशक्त हो रही हैं। उनकी कहानी हमें बताती है कि कैसे शिक्षा और कौशल विकास किसी भी व्यक्ति के जीवन को बदल सकता है।
अंजली जैसी महिलाओं की सफलता से यह साबित होता है कि जब महिलाएं आगे बढ़ने का निश्चय कर लेती हैं तो कोई भी बाधा उनके रास्ते में नहीं टिक सकती। वे न सिर्फ अपने परिवार के लिए बल्कि समाज के लिए भी एक मिसाल हैं।

