मुजफ्फरपुर का राजनीतिक और सांस्कृतिक इतिहास समृद्ध: प्रोफेसर सज्जाद

Tirhut News

रामदयालु सिंह महाविद्यालय स्नातकोत्तर इतिहास विभाग में “मुजफ्फरपुर इतिहास के आईने में” विषय पर आयोजित परिचर्चा में मुख्य वक्ता अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय इतिहास विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो मोहम्मद सज्जाद ने कहा कि मुजफ्फरपुर का राजनीतिक और सांस्कृतिक इतिहास काफी समृद्ध है। मुजफ्फरपुर ने पूर्वोत्तर भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 1920 और 1927 में महात्मा गांधी की मुजफ्फरपुर जिले की यात्रा ने लोगों की छिपी भावनाओं को जगाने में जबरदस्त राजनीतिक प्रभाव डाला। महात्मा गांधी की यात्राओं ने इस क्षेत्र के लोगों में स्वाधीनता के चाह की जान फूंक दी थी। खुदीराम बोस तथा जुब्बा साहनी जैसे अनेक क्रांतिकारियों कि यह कर्म भूमि रही है। 1930 के नमक आंदोलन से लेकर 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन तक यहां के क्रांतिकारियों ने लगातार महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने बताया कि मुजफ्फरपुर की स्थापना 18वीं शताब्दी में ब्रिटिश राज के दौरान हुई थी। 1864 में इसे नगर पालिका बनाया गया था। मुजफ्फरपुर के राजनीतिक यात्रा के विवरण पर शोध कार्य करने की जरूरत है।
इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ एम एन रजवी ने कहा कि प्राचीन लिच्छवी राजाओं की राजधानी वैशाली का निकटवर्ती मुजफ्फरपुर शहर अघोषित रूप से बिहार की संस्कृति की राजधानी तो है ही साथ ही इस जिले की अपनी एक विशिष्ट संस्कृति है, समृद्ध इतिहास है। मुजफ्फरपुर शहर को इस्लामी और हिंदू सभ्यताओं के मिलन स्थली के रूप में भी देखा जाता रहा है। मुजफ्फरपुर की संस्कृति ने विदेशों में भी अपना परचम लहराया है। छात्र एवं युवाओं को इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने की लगातार कोशिश करनी है।
मौके पर इतिहास विभाग के डॉ अनुपम कुमार, डॉ अजमत अली, डॉ ललित किशोर, डॉ मनीष कुमार शर्मा सहित स्नातक एवं स्नातकोत्तर के छात्र-छात्राएं मौजूद थे।

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