
पटना: बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों के अतिथि प्राध्यापक सेवा नियमितीकरण और 65 वर्ष तक सेवा विस्तार की मांग को लेकर एकजुट हुए हैं। उन्होंने पटना में एक जनसंपर्क अभियान शुरू किया है जिसका उद्देश्य सरकार और विधायकों का ध्यान इस मुद्दे की ओर आकर्षित करना है।
मुख्य बिंदु:
विधान परिषद समिति से मुलाकात: अतिथि प्राध्यापकों के प्रतिनिधिमंडल ने विधान परिषद समिति के अध्यक्ष और सदस्य से मुलाकात की और अपनी मांगें रखीं।
सकारात्मक संकेत: विधान परिषद सदस्यों ने अतिथि प्राध्यापकों की मांगों को जायज ठहराया और जल्द ही इस पर सरकार में आम सहमति बनाने का आश्वासन दिया।
सभी विश्वविद्यालयों का प्रतिनिधित्व: इस अभियान में बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों के अतिथि प्राध्यापक संघ के पदाधिकारी शामिल हुए हैं।
व्यापक जनसंपर्क: अतिथि प्राध्यापक विभिन्न राजनीतिक नेताओं, मंत्रियों और शिक्षा विभाग के अधिकारियों से संपर्क कर रहे हैं।
लंबी लड़ाई: अतिथि प्राध्यापक अपनी मांगों को मनवाने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं और भविष्य में भी बड़े पैमाने पर कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बना रहे हैं।
इस अभियान का महत्व:
नौकरी की सुरक्षा: अतिथि प्राध्यापकों के लिए नौकरी की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। नियमितीकरण से उन्हें स्थायी नौकरी मिलेगी और वे अपने भविष्य को लेकर निश्चिंत हो सकेंगे।
शैक्षणिक गुणवत्ता: अतिथि प्राध्यापक शिक्षण संस्थानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनकी सेवा का विस्तार करने से शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार होगा।
कर्मचारियों का मनोबल: नियमितीकरण से अतिथि प्राध्यापकों का मनोबल बढ़ेगा और वे अधिक मेहनत से काम करेंगे।

संभावित परिणाम:

सरकार का सकारात्मक रुख: विधान परिषद सदस्यों के सकारात्मक रुख से उम्मीद है कि सरकार अतिथि प्राध्यापकों की मांगों पर सकारात्मक विचार करेगी।
नियमितीकरण की संभावना: यदि सरकार अतिथि प्राध्यापकों की सेवा को नियमित करने का फैसला लेती है तो यह एक बड़ी उपलब्धि होगी।
शिक्षा क्षेत्र में सुधार: नियमितीकरण से शिक्षा क्षेत्र में सुधार आएगा और छात्रों को बेहतर शिक्षा मिल सकेगी।
अतिथि प्राध्यापकों का यह जनसंपर्क अभियान एक महत्वपूर्ण कदम है। यह दिखाता है कि अतिथि प्राध्यापक अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने से पीछे नहीं हटेंगे। उम्मीद है कि सरकार उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करेगी और जल्द ही एक सकारात्मक निर्णय लेगी।
