
मुजफ्फरपुर के गायघाट थाना अंतर्गत सुबास केशव के रहने वाले जनक किशोर उर्फ़ राजन झा ने भारतीय रेल के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी से 15 दिनों के भीतर ब्याज समेत टिकट की राशि वापस करने की मांग की है. 15 दिनों के बाद रेलवे को हरजाने के रूप में 50 लख रुपए देना होगा. दावा है कि रेलवे के बदइंतजामी की वजह से प्रयागराज के महाकुंभ जाने से वंचित हो गए. उनके साथ परिजन भी जन्म मरण के चक्कर से छुटकारा पाने वाले अमृत स्नान नहीं कर सके. महाकुंभ में 144 वर्षो में बना अमृत स्नान का संयोग अब दोबारा उन्हें नहीं मिलेगा. उन्हें मानसिक और शारीरिक हानि पहुंची है. इसके अलावा मोक्ष प्राप्ति से वंचित हो गए हैं.

मुजफ्फरपुर : जिले के गायघाट थाना क्षेत्र के सुबास केशो ग्राम निवासी राजन झा ने अपने सास-ससुर के साथ 27 जनवरी को मुजफ्फरपुर से प्रयागराज तक जाने के लिए रेलवे का टिकट लिया था। जब ये लोग ट्रेन पकड़ने के लिए स्टेशन गये, तब वहाँ पर ये लोग ट्रेन नहीं पकड़ पाये, क्योंकि ट्रेन का बोगी अंदर से बंद था। अधिवक्ता राजन झा ने इसकी शिकायत रेलवे प्रशासन से की, लेकिन रेल प्रशासन के द्वारा ट्रेन का बोगी नहीं खुलवाया गया। जिस कारण ये लोग महाकुम्भ स्नान से वंचित हो गये। राजन झा के अधिवक्ता एस.के.झा ने बताया कि यह पूरा मामला उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत सेवा में कमी की कोटि का है। चूँकि रेलवे प्रशासन की यह जिम्मेदारी थी कि मुजफ्फरपुर से प्रयागराज तक यात्रियों को समय पर पहुंचाए, लेकिन रेलवे ने ऐसा नहीं किया। यह पवित्र महाकुम्भ 144 वर्षों के बाद आया है। राजन झा और उनके परिजनों को मोक्ष की प्राप्ति के लिए मौनी अमावस्या के दिन अमृत स्नान करना था। लेकिन रेलवे के द्वारा इन लोगों को मोक्ष से वंचित कर दिया गया। जिस कारण रेलवे के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी को लीगल नोटिस भेजा गया है, जिसमें आर्थिक, मानसिक हर्जाना के मद में कुल 50 लाख रूपये का दावा किया गया है। अगर 15 दिनों के अंदर रेलवे के द्वारा हर्जाने की राशि नहीं दी गई, तो सक्षम न्यायालय में रेलवे के विरुद्ध मुकदमा किया जायेगा।

राजन झा ने बताया कि 27 जनवरी 2025 की प्रयागराज के लिए स्वतंत्रता सेनानी ट्रेन के एसी 3 का तत्काल टिकट बनवाया था. रात के 9:30 में ट्रेन खुलने का समय था. अपने सास ससुर के साथ में 7 बजे स्टेशन पर पहुंच गया. जब ट्रेन आई तो बोगी का दरवाजा बंद था. अवैध यात्रियों के द्वारा ट्रेन पर कब्जा था. अफरा तफरी का माहौल था. रेलवे के बाद इंतजाम के कारण ट्रेन पर चढ़ नहीं पाए. इसकी शिकायत स्टेशन मास्टर से भी की गई. यात्रा का कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं हुआ. हम लोगों का आर्थिक मानसिक और शारीरिक क्षति हुई है. हिंदू धर्म में महाकुंभ की अत्यंत मानता है हम मोक्ष से वंचित रह गए.
इस मामले में अधिवक्ता एसके झा ने बताया कि यह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत सेवा में कमी का मामला है जो रेलवे के लापरवाही को बताता है. राजन झा को अपने परिजनों के साथ मौनी अमावस्या के अमृत स्नान में भाग लेने के लिए प्रयागराज जाना था. लेकिन ट्रेन की बोगी बंद रहने के कारण जा नहीं सके. रेलवे इनका पैसा भी वापस नहीं कर रहा है. 15 दिनों के भीतर रेलवे कोई पहल नहीं करता है तो संबंधित न्यायालय में केस दर्ज की जाएगी.