
मुजफ्फरपुर, 15 साल का बिछोह, अनगिनत आंसू और खोई हुई उम्मीदें… लेकिन किस्मत ने आखिरकार करवट ली और मुजफ्फरपुर जिले के बुधनगरा की किरण अपने परिवार के पास लौट आईं। उनकी कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं है।
कैसे शुरू हुआ बिछड़ने का सिलसिला?
किरण की जिंदगी में भूचाल तब आया, जब 15 साल पहले वे अपने पति और 5 साल के बेटे के साथ दिल्ली जा रही थीं। मुजफ्फरपुर स्टेशन पर उनके बेटे का अपहरण हो गया, और यही हादसा उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा सदमा बन गया। बेटे के गम में किरण मानसिक रूप से अस्थिर हो गईं। इस आघात के चलते उनके पति ने भी साथ छोड़ दिया और कुछ समय बाद आत्महत्या कर ली।
मानसिक रूप से अस्थिर किरण एक दिन घर से बिना बताए निकल गईं और रास्ता भटकते हुए गुजरात के बनासकांठा जिले के पालनपुर जा पहुंचीं। वहाँ उन्होंने गांव-गांव भटककर भीख मांगकर जिंदगी बिताई, न कोई पहचान, न घर का पता।
गुजरात में मिली जिंदगी की नई राह
पालनपुर के ग्रामीणों ने जब किरण को इस हाल में देखा, तो पुलिस को सूचना दी। उन्हें पालनपुर नारी संरक्षण केंद्र लाया गया, जहाँ लगातार काउंसलिंग के बाद उनकी जुबान से दो अहम शब्द निकले— “मुजफ्फरपुर” और “ट्रेन”।केंद्र की मैनेजर नीलोफर दीवान ने बताया कि शुरुआत में किरण कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं थीं, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने अपने गांव और जिले का नाम बताया, जिससे उनकी पहचान का सुराग मिला।
सखी वन स्टॉप सेंटर ने किया चमत्कार
इन संकेतों के आधार पर पालनपुर नारी संरक्षण केंद्र ने बिहार के सखी वन स्टॉप सेंटर से संपर्क किया। स्थानीय प्रशासन और सखी सेंटर की टीम ने खोजबीन शुरू की और आखिरकार मुशहरी प्रखंड के बुधनगरा गांव के शम्भू साहनी तक यह खबर पहुंची। जब शम्भू ने अपनी बहन की तस्वीर देखी, तो उन्हें यकीन ही नहीं हुआ। उन्होंने तुरंत अपनी बहन को पहचान लिया।
घर वापसी का भावुक पल
21 फरवरी को गुजरात पुलिस की एस्कॉर्ट टीम के साथ सखी वन स्टॉप सेंटर की 6 सदस्यीय टीम किरण को उनके गांव बुधनगरा लेकर पहुंची। 15 साल बाद जब किरण अपने घर की चौखट पर पहुंचीं, तो पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ गई। भाई-बहन के गले लगते ही सबकी आंखों से आंसू छलक पड़े।
शम्भू साहनी, किरण के बड़े भाई, ने भावुक होते हुए कहा
“हमने तो उसे मृत मान लिया था। इतने सालों बाद उसे जिंदा देखकर दिल को सुकून मिला है।”
मानसिक स्वास्थ्य के लिए आगे की राह
परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण किरण का समुचित इलाज नहीं हो सका था, जिसके चलते वह बार-बार भटक जाती थीं। महिला हेल्पलाइन, मुजफ्फरपुर की परामर्शी ममता कुमारी ने बताया कि अब किरण के मानसिक स्वास्थ्य के लिए निरंतर चिकित्सा और काउंसलिंग की व्यवस्था की जा रही है, ताकि वह अपने परिवार के साथ स्थिर और सुरक्षित जीवन जी सकें।
उम्मीद की नई किरण
किरण की घर वापसी यह साबित करती है कि अगर सही समय पर सही प्रयास किए जाएं, तो बिछड़े हुए अपने अपनों से फिर मिल सकते हैं। सखी वन स्टॉप सेंटर, नारी संरक्षण केंद्र, और स्थानीय प्रशासन के सामूहिक प्रयासों ने इस असंभव से लगने वाले पुनर्मिलन को संभव बना दिया।