
तिरहूत न्यूज स्पेशल रिपोर्ट:
बिहार में बेरोजगारी और पलायन की समस्या एक बार फिर चर्चा में है। कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ पदयात्रा के दौरान नीतीश सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि बिहार के युवाओं को पढ़ाई, दवाई, कमाई और यहां तक कि हनीमून मनाने के लिए भी बाहर जाना पड़ता है।
बिहार में रोजगार का संकट
बिहार में शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण युवाओं का पलायन एक गंभीर समस्या बन चुका है। सरकारी आंकड़ों और जमीनी हकीकत को देखने पर यह स्पष्ट होता है कि राज्य में बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है। हर साल लाखों युवा दिल्ली, मुंबई, पंजाब और दक्षिण भारतीय राज्यों की ओर रोजगार की तलाश में पलायन करते हैं।
कन्हैया कुमार ने अपनी पदयात्रा के दौरान कहा:
“सरकार रोजगार देने में विफल रही है। इसलिए समाज को बांटने और उन्माद फैलाने में लगी है। अगर बिहार को बेहतर बनाना है, तो युवाओं को रोजगार देना होगा।”
बिहार की बेरोजगारी: आंकड़ों की नजर से
• सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के अनुसार, बिहार की बेरोजगारी दर 2024 की शुरुआत में 10% से अधिक थी।
• बिहार से हर साल लाखों युवा रोजगार के लिए पलायन करते हैं, जिनमें सबसे अधिक कुशल और अकुशल मजदूर, इंजीनियर, डॉक्टर और टेक्निकल प्रोफेशनल्स होते हैं।
• राज्य में निजी उद्योगों की कमी और सरकारी नौकरियों की सीमित संख्या के कारण स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर नहीं बन पा रहे हैं।
बिहार की स्थिति: ठेका व्यवस्था और सरकारी लापरवाही
कन्हैया कुमार ने बिहार सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि प्रदेश में सबकुछ ठेके पर चल रहा है। सरकारी नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया धीमी है और जो भी नौकरियां निकलती हैं, उनमें भ्रष्टाचार और धांधली के आरोप लगते रहते हैं।
उन्होंने कहा:
“बिहार में न शिक्षा है, न स्वास्थ्य, न रोजगार, न सुरक्षा। सरकार की नीतियां केवल ठेके पर चल रही हैं, जिससे युवा हताश होकर दूसरे राज्यों का रुख कर रहे हैं।”
‘पलायन रोको, नौकरी दो’ पदयात्रा: कांग्रेस की रणनीति
बिहार कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ पदयात्रा शुरू की है, जिसका नेतृत्व कन्हैया कुमार कर रहे हैं। इस यात्रा का उद्देश्य युवाओं को रोजगार की गारंटी दिलाने और सरकार की नीतियों पर सवाल उठाने का है।
यात्रा में शामिल प्रमुख नेता:
✔ कन्हैया कुमार (कांग्रेस नेता)
✔ अखिलेश प्रसाद सिंह (बिहार कांग्रेस अध्यक्ष)
✔ कृष्णा अल्लावरु (बिहार प्रभारी, कांग्रेस)
✔ उदय भान (यूथ कांग्रेस अध्यक्ष)
✔ वरुण चौधरी (एनएसयूआई अध्यक्ष)
क्या कहती है जनता?
हमने इस मुद्दे पर स्थानीय युवाओं और विशेषज्ञों से बात की। पटना विश्वविद्यालय के छात्र अमित कुमार कहते हैं:
“बिहार में रोजगार की स्थिति बहुत खराब है। सरकारी नौकरियों के लिए सालों इंतजार करना पड़ता है और निजी क्षेत्र में अवसर सीमित हैं। हमें बाहर जाना मजबूरी बन गई है।”
वहीं, मुजफ्फरपुर के व्यवसायी राजेश सिंह का कहना है:
“अगर सरकार यहां इंडस्ट्री लगाए, तो हमारे युवा बिहार में ही रहकर काम कर सकते हैं। लेकिन सरकार के पास न नीति है और न इच्छा शक्ति।”
क्या सरकार दे पाएगी रोजगार?
बिहार सरकार ने ‘बिहार स्टार्टअप पॉलिसी’ और ‘रोजगार मिशन’ जैसी योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि अभी भी बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर नहीं बन पा रहे हैं।
अगर सरकार बिहार में उद्योग, कृषि और स्टार्टअप्स को बढ़ावा दे और सरकारी नौकरियों में पारदर्शिता लाए, तो युवाओं को रोजगार के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा।
निष्कर्ष: बिहार में रोजगार कब बनेगा चुनावी मुद्दा?
बिहार में हर चुनाव से पहले बेरोजगारी और पलायन का मुद्दा उठता है, लेकिन चुनाव के बाद यह फिर से हाशिए पर चला जाता है।
क्या इस बार ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ अभियान से बिहार की राजनीति में कोई नया मोड़ आएगा?
क्या सरकार युवाओं को रोजगार देने के लिए ठोस कदम उठाएगी या यह मुद्दा सिर्फ चुनावी भाषणों तक ही सीमित रहेगा?
तिरहूत न्यूज इस मुद्दे पर लगातार नजर बनाए रखेगा।