
मुजफ्फरपुर: उत्तर प्रदेश और बिहार के कई सरकारी व निजी अस्पतालों में मुर्दे के इलाज से जुड़ा चौंकाने वाला मामला सामने आया है। इस पर उत्तर प्रदेश राज्य मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लेते हुए गोरखपुर और कुशीनगर के डीएम व सीएमओ को तलब किया है। आयोग ने निर्देश दिया है कि 23 अप्रैल तक रिपोर्ट सौंपनी होगी, जबकि 24 अप्रैल को अगली सुनवाई होगी।
इसी मामले में बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग ने भी पश्चिम चंपारण के सिविल सर्जन को आवश्यक कार्रवाई करने का आदेश दिया है। दोनों राज्यों के मानवाधिकार आयोग की सख्ती से प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया है।
मानवाधिकार अधिवक्ता एस.के. झा की याचिका पर कार्रवाई
इस मामले में मानवाधिकार अधिवक्ता एस. के. झा ने बिहार, यूपी और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में तीन अलग-अलग याचिकाएँ दायर की थीं। यूपी मानवाधिकार आयोग ने इस पर तत्काल कार्रवाई करते हुए संबंधित अधिकारियों को जवाब देने के लिए बुलाया है।
एस. के. झा का कहना है कि इस पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच अवकाश प्राप्त न्यायाधीश की निगरानी में होनी चाहिए। उन्होंने दोषी अस्पतालों पर कठोर कार्रवाई की माँग की है।
इस मामले पर आगे क्या कार्रवाई होती है, यह देखना दिलचस्प होगा। लेकिन स्पष्ट है कि मानवाधिकार आयोग की इस कार्रवाई ने यूपी और बिहार के प्रशासन में हलचल मचा दी है।