
पटना: कृषि विपणन पर राष्ट्रीय नीति (एनपीएफएएम) के प्रस्ताव को खारिज कराने, जबरन भूमि अधिग्रहण पर रोक लगाने और किसानों की अन्य न्यायपूर्ण मांगों के समर्थन में संयुक्त किसान मोर्चा, बिहार द्वारा पटना के गर्दनीबाग में आयोजित तीन दिवसीय राज्य स्तरीय किसान महापड़ाव के तीसरे दिन आज हजारों किसानों ने भाग लिया।
मुख्य बिंदु:
• मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा गया: किसान संगठनों ने बिहार विधानसभा से कृषि विपणन नीति को वापस लेने की मांग को लेकर मैजिस्ट्रेट के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा।
• वामपंथी दलों के समर्थन: भाकपा (माले), भाकपा और सीपीआई (एम) के विधायकों ने महापड़ाव को संबोधित किया और सरकार की किसान विरोधी नीतियों की आलोचना की।
• किसानों की प्रमुख मांगें:
• एपीएमसी कानून की बहाली
• एमएसपी की कानूनी गारंटी
• फसल बीमा योजना का पुनः क्रियान्वयन
• बिजली के निजीकरण पर रोक
• 10000 रुपये पेंशन योजना
सभा का संचालन एवं वक्ता:
सभा का संचालन घटक किसान संगठनों के नेताओं ने किया, जिनमें उमेश सिंह, विनोद कुमार, रामचंद्र महतो, अशोक बैठा, रामवृक्ष राम, ऋषि आनंद, इंद्रदेव राय सहित अन्य किसान नेता शामिल थे।
सरकार से प्रमुख मांगें:
संयुक्त किसान मोर्चा ने बिहार सरकार से मांग की है कि विधानसभा के मौजूदा सत्र में एनपीएफएएम के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा जाए।
संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से जारीकर्ता:
• उमेश सिंह – अखिल भारतीय किसान महासभा
• विनोद कुमार – बिहार राज्य किसान सभा (जमाल रोड)
• रामचंद्र महतो – बिहार राज्य किसान सभा (अजय भवन)
• अशोक बैठा – अ.भा. खेतिहर मजदूर किसान सभा
• रामवृक्ष राम – अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा
• विजय कुमार चौधरी – ऑल इंडिया किसान फेडरेशन
• मनीष कुमार – भारत माला सड़क परियोजना प्रभावित संघर्ष मोर्चा
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