

रोहतास: बिहार में अवैध बालू खनन का खेल थमने का नाम नहीं ले रहा। प्रशासन और बालू माफियाओं की सांठगांठ को लेकर आए दिन खुलासे हो रहे हैं। ताजा मामला रोहतास जिले के काराकाट थाना का है, जहां थानाध्यक्ष फुलदेव चौधरी बालू माफियाओं से डील करते रंगे हाथों पकड़े गए। वीडियो वायरल होते ही रोहतास एसपी ने उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
कैसे हुआ पर्दाफाश?
थाना प्रभारी फुलदेव चौधरी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसमें वह बालू माफियाओं से खुलेआम पैसे की वसूली कर रहे थे। वीडियो में चौधरी यह कहते नजर आ रहे हैं कि प्रति ट्रैक्टर 3 से 4 हजार रुपये दिए बिना कोई गाड़ी नहीं चलेगी। इतना ही नहीं, उन्होंने नाराजगी जताई कि उन्हें 9 ट्रैक्टरों का पैसा मिला, लेकिन सड़क पर 20 ट्रैक्टर दौड़ रहे हैं।
एसपी का कड़ा एक्शन
वीडियो के वायरल होते ही बिहार पुलिस की छवि पर सवाल उठने लगे। रोहतास एसपी रौशन कुमार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए फौरन कार्रवाई की और फुलदेव चौधरी को लाइन हाजिर कर दिया। उनकी जगह भागीरथी कुमार को नया थानाध्यक्ष बनाया गया है। एसपी ने कहा:
“थानाध्यक्ष को लाइन हाजिर कर दिया गया है। मामले की जांच जारी है और वीडियो की सत्यता की पुष्टि की जा रही है। वीडियो बनाने वालों से भी संपर्क किया जा रहा है, ताकि पूरे रैकेट का पर्दाफाश किया जा सके।”
रोहतास में माफिया-प्रशासन गठजोड़ कोई नई बात नहीं
यह पहली बार नहीं है जब रोहतास में बालू माफिया और प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत उजागर हुई हो। इससे पहले भी कई अधिकारियों पर कार्रवाई हो चुकी है। डेहरी अनुमंडलाधिकारी और एक एएसपी तक बालू माफियाओं से सांठगांठ के आरोप में नप चुके हैं। बावजूद इसके, बालू का अवैध कारोबार धड़ल्ले से जारी है।
क्या यह सिर्फ दिखावटी कार्रवाई है?
सरकार और पुलिस अवैध बालू खनन पर लगाम लगाने के दावे तो करती है, लेकिन जब खुद थानेदार ही इस खेल में शामिल हों, तो सवाल उठना लाजमी है। जनता की मांग है कि सिर्फ लाइन हाजिर करना काफी नहीं, बल्कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों पर कठोर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। क्या बिहार सरकार और पुलिस इस गठजोड़ को खत्म करने के लिए वाकई गंभीर है या फिर यह भी महज एक दिखावटी कार्रवाई बनकर रह जाएगी?