
चैत्र नवरात्रि 2025: मां शैलपुत्री की आराधना, कलश स्थापना मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
आज से प्रारंभ चैत्र नवरात्रि, माता शैलपुत्री की पूजा का विशेष महत्व
चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व आज से प्रारंभ हो रहा है, जो हिंदू नववर्ष का शुभ संदेश भी लेकर आता है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर भक्तजन कलश स्थापना कर मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप, माता शैलपुत्री की श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना करेंगे। यह उत्सव नवमी तिथि तक जारी रहेगा।
माता शैलपुत्री का स्वरूप और महत्व माता शैलपुत्री, जिनका अर्थ है ‘पर्वत की पुत्री’, पर्वतराज हिमालय की पुत्री और भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं। उनका वाहन वृषभ (बैल) है, इसलिए उन्हें वृषभारूढ़ा भी कहा जाता है। मान्यता है कि माता शैलपुत्री की आराधना से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन के सभी दोष दूर होते हैं।
चैत्र नवरात्रि का ज्योतिषीय महत्व ज्योतिषाचार्य आदित्या झा के अनुसार, इन नौ दिनों में मां दुर्गा पृथ्वी लोक पर अपने भक्तों के बीच विराजमान होती हैं। इस बार माता दुर्गा का आगमन और प्रस्थान दोनों हाथी पर होगा, जो समृद्धि और अच्छी वर्षा का प्रतीक है। हालांकि, इस वर्ष नवरात्रि केवल 8 दिनों की होगी, क्योंकि तृतीया तिथि का क्षय हो रहा है।
माता शैलपुत्री का ध्यान मंत्र वन्दे वंछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढाम् शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
कलश स्थापना 2025: शुभ मुहूर्त
• प्रातः संध्या: 05:04 ए एम से 06:13 ए एम तक
• अभिजीत मुहूर्त: 12:01 पी एम से 12:50 पी एम तक
• अमृत काल: 02:28 पी एम से 03:52 पी एम तक
• विजय मुहूर्त: 02:30 पी एम से 03:19 पी एम तक
• गोधूलि मुहूर्त: 06:37 पी एम से 07:00 पी एम तक
• निशिता मुहूर्त: 31 मार्च को 12:02 ए एम से 12:48 ए एम तक
पहले दिन के शुभ योग और नक्षत्र
• सर्वार्थ सिद्धि योग: 04:35 पी एम से मार्च 31 को 06:12 ए एम तक
• इन्द्र योग: प्रातःकाल से 05:54 पी एम तक
• रेवती नक्षत्र: प्रातःकाल से लेकर शाम 04:35 बजे तक, फिर अश्विनी नक्षत्र
कलश स्थापना सामग्री मिट्टी, मिट्टी का घड़ा, कलावा, जटा वाला नारियल, अशोक के पत्ते, जल, गंगाजल, लाल रंग का कपड़ा, एक मिट्टी का दीपक, मौली, अक्षत, हल्दी, फल, फूल।
माता शैलपुत्री पूजा मंत्र
• ॐ शं शैलपुत्री देव्यै नम:
• सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।
• ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।
माता शैलपुत्री पूजा विधि
• ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
• एक चौकी पर गंगाजल छिड़ककर देवी दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
• पूरे परिवार के साथ विधि-विधान से कलश स्थापना करें।
• शैलपुत्री के ध्यान मंत्र का जप करें और षोडशोपचार विधि से पूजा करें।
• माता को कुमकुम, फल, अक्षत, सफेद फूल, धूप-दीप आदि अर्पित करें।
• दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और पूरे परिवार के साथ आरती करें।
• अंत में, माता से अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगें।
नवरात्रि के पहले दिन का आध्यात्मिक संदेश माता शैलपुत्री की आराधना से जीवन में सकारात्मकता आती है और चंद्र दोषों से मुक्ति मिलती है। यह दिन आत्मशुद्धि और भक्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।