
मुजफ्फरपुर। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में हिंदू नव वर्ष विक्रम संवत 2082 का भव्य आयोजन किया गया। पूरे विश्वविद्यालय परिसर को रोशनी से सजाया गया और उत्सव का माहौल देखने को मिला। इस अवसर पर कुलपति प्रो. दिनेश चन्द्र राय ने सभी को नव वर्ष की शुभकामनाएं दीं।
अपने शुभकामना संदेश में कुलपति प्रो. राय ने कहा, “आज के इस आधुनिक युग में, जब हम तेजी से पश्चिमी संस्कृति की ओर आकर्षित हो रहे हैं, यह आवश्यक है कि हम अपनी जड़ों को न भूलें। हमारी सांस्कृतिक विरासत हमारी पहचान है, और हमें इसे संरक्षित और बढ़ावा देना चाहिए। चैत्र प्रतिपदा हमें हमारी समृद्ध परंपराओं और मूल्यों की याद दिलाता है। यह दिन हमें अपने पूर्वजों के ज्ञान और परंपराओं को याद रखने और उन्हें अपने जीवन में अपनाने का अवसर देता है।” उन्होंने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आने वाली पीढ़ियां भी हमारी सांस्कृतिक विरासत को समझें और उसका सम्मान करें।
इस अवसर पर कुलपति ने विश्वविद्यालय के छात्रों और संकाय सदस्यों से आह्वान किया कि वे अपनी संस्कृति को जीवित रखने और इसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का संकल्प लें। उन्होंने कहा कि चैत्र प्रतिपदा हमें अपनी जड़ों से जोड़ता है और हमें अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करने का अवसर देता है।
चैत्र नवरात्रि का भी शुभारंभ
कुलपति प्रो. राय ने चैत्र नवरात्रि की भी शुभकामनाएं दीं और कहा कि, “चैत्र प्रतिपदा के साथ ही, आज से चैत्र नवरात्रि का भी आरंभ हो रहा है। यह नौ दिवसीय पर्व शक्ति की देवी माँ दुर्गा को समर्पित है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। यह पर्व हमें नारी शक्ति के महत्व और हमारे समाज में उनके योगदान की याद दिलाता है।”
इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के शिक्षक, छात्र और कर्मचारी शामिल हुए। इस मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया, जिसमें छात्र-छात्राओं ने पारंपरिक नृत्य और भजन प्रस्तुत कर कार्यक्रम को और भी खास बना दिया।
हिंदू नव वर्ष विक्रम संवत 2082 का यह आयोजन विश्वविद्यालय में एक नई परंपरा की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है, जिससे आने वाली पीढ़ियां अपनी संस्कृति और परंपराओं के प्रति जागरूक होंगी।