
मुजफ्फरपुर डेस्क, तिरहूत न्यूज़ |
रामनवमी के पावन अवसर पर मुजफ्फरपुर शहर ने एक बार फिर भाईचारे और कौमी एकता की एक शानदार मिसाल पेश की। शहर के ऐतिहासिक जामा मस्जिद के पास मुस्लिम समुदाय के लोगों ने रामनवमी की शोभायात्रा का स्वागत कर ऐसा दृश्य रचा, जिसने “गंगा-जमुनी तहज़ीब” को जीवंत कर दिया। यहां मजहब की दीवारें नहीं थीं, बल्कि दिलों को जोड़ती मोहब्बत की सरहदें थीं।
शर्बत और पानी से हुआ स्वागत, मुस्कान के साथ मिला संदेश
रामनवमी की शोभायात्रा जैसे ही जामा मस्जिद के पास पहुंची, पहले से तैयार मुस्लिम युवाओं और बुजुर्गों ने शुद्ध पेयजल और शर्बत के माध्यम से श्रद्धालुओं का स्वागत किया। ताली बजाकर, हाथ जोड़कर और मुस्कान के साथ रामभक्तों का अभिनंदन किया गया। श्रद्धालुओं ने भी उत्साह और आदर के साथ इस भाईचारे का सम्मान किया।
“राम हमारे भी हैं” – मुस्लिम समाज का भावुक संदेश
स्वागत में शामिल मोहम्मद सब्बीर अंसारी ने कहा –
“मुजफ्फरपुर मोहब्बत की मिट्टी है। यहां हर मजहब का इज़्ज़त से स्वागत होता है। हम हर साल इस दिन का इंतजार करते हैं।”
मोहम्मद रियाज अंसारी ने भावुक होकर कहा –
“राम सिर्फ हिंदुओं के नहीं, राम हमारे भी हैं। वो मर्यादा पुरुषोत्तम हैं, इंसानियत के प्रतीक हैं। हम उन्हें सम्मान देते हैं और यह दृश्य इसका प्रमाण है।”
वहीं मोहम्मद इकबाल ने कहा –
“हमें गर्व है कि हम एक ऐसे शहर में रहते हैं जहां मोहब्बत दी जाती है, नफरत नहीं। यही असली भारत है।”
तस्वीरों ने जीता दिल, सोशल मीडिया पर वायरल
इस मौके पर ली गई तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। कहीं एक मुस्लिम युवा श्रद्धालु को पानी पिलाते दिखा, तो कहीं बुजुर्ग हाथ जोड़कर रामभक्तों का अभिवादन करते दिखे। इन दृश्यों ने देशभर के लोगों का दिल जीत लिया है और मुजफ्फरपुर की तारीफ हो रही है।
तिरहूत की धरती से उठी एकता की आवाज़
इस शोभायात्रा ने सिर्फ धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता का भी प्रदर्शन किया। तिरहूत की यह धरती साक्षी बनी जब हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोग एक-दूसरे के पर्व में शरीक होकर यह साबित कर गए कि हमारा समाज अब भी प्रेम, एकता और इंसानियत के सिद्धांतों पर टिका है।
जब नफरत की दीवारें ऊंची हो रही हों, तब मुजफ्फरपुर जैसे शहर हमें याद दिलाते हैं कि भारत की आत्मा अब भी ज़िंदा है। रामनवमी पर मुस्लिम समाज का यह स्वागत सिर्फ एक दृश्य नहीं, एक संदेश है – “हम साथ थे, साथ हैं और साथ रहेंगे।”