
प्रयागराज/डबरा/शिवपुरी। रिश्तों की पारंपरिक परिभाषाओं को चुनौती देती एक प्रेम कहानी इस वक्त सोशल मीडिया से लेकर गांव के चौपाल तक चर्चा में है। मध्यप्रदेश के डबरा से निकले दो दिल – जो मामा और भांजी के रिश्ते में बंधे थे – ने समाज की रेखाएं लांघ दीं और उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक नए रिश्ते की शुरुआत की।
छिपकर नहीं, खुलकर किया इश्क
भितरवार थाना क्षेत्र की एक युवती और रामनगर, शिवपुरी के अवनीश कुशवाह दो साल से एक-दूसरे को दिल दे बैठे थे। समाज और परिवार की मर्यादा इस रिश्ते को रोकने के लिए काफी नहीं थी। अपने दिल की बात को छिपाते हुए दोनों ने एक-दूसरे के साथ खामोश समझौते किए, वादे किए… और फिर एक दिन, तय कर लिया कि अब और नहीं।
भागकर पहुंचे प्रयागराज, मंदिर में रचाई शादी
30 मार्च की सुबह दोनों अपने-अपने घरों से निकल पड़े और उत्तर प्रदेश के पवित्र शहर प्रयागराज की ओर रवाना हो गए। वहीं उन्होंने एक मंदिर में सात फेरे लिए और अपने प्रेम को विवाह का नाम दे दिया।
जब परिवार को लगा सदमा
युवती के घर न लौटने पर परिवार में हड़कंप मच गया। भितरवार थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज हुई। पुलिस ने भी तलाश शुरू कर दी। लेकिन गुरुवार को खुद दोनों थाने पहुंचे और दस्तावेज़ों के साथ पेश हुए। उन्होंने बताया कि वे बालिग हैं और अपनी मर्जी से विवाह कर चुके हैं।
परिवार ने अंततः मानी बात, लेकिन…
शुरुआत में विरोध हुआ। समाज के लोग भी हैरान थे। लेकिन जब देखा कि दोनों का इरादा अटल है, तो परिवार को भी झुकना पड़ा। अंततः हनुमान मंदिर में पूरे विधि-विधान के साथ शादी हुई और दोनों ने एक नई ज़िंदगी की शुरुआत कर दी।
समाज के सवाल और प्रेम की जिद
यह कहानी सिर्फ दो लोगों की नहीं, बल्कि उस टकराव की भी है जो परंपरा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के बीच होता है। क्या मामा-भांजी का रिश्ता एक सामाजिक अपराध है या दो बालिगों का निजी निर्णय? इस सवाल का जवाब समाज को ढूंढ़ना है।
तिरहूत न्यूज | धीरज ठाकुर की रिपोर्ट