भाजपा का 46वां स्थापना दिवस: कपरपुरा कार्यालय में दिखा जोश, प्रदर्शनी में झलकी ऐतिहासिक यात्रा

Tirhut News

मुजफ्फरपुर, तिरहूत न्यूज़। भारतीय जनता पार्टी का 46वां स्थापना दिवस सोमवार को मुजफ्फरपुर भाजपा पश्चिमी के कपरपुरा स्थित जिला कार्यालय में पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर कार्यकर्ताओं ने पार्टी ध्वज फहराकर संगठन के गौरवशाली इतिहास को याद किया और आगामी विधानसभा चुनाव के लिए संकल्प लिया।


झंडोत्तोलन और भारत माता की जय के नारों से गूंजा परिसर

कार्यक्रम का शुभारंभ झंडोत्तोलन से हुआ, जिसका नेतृत्व पूर्व मंत्री और भाजपा के संस्थापक सदस्य सुरेश शर्मा ने किया। कार्यकर्ताओं ने “भारत माता की जय” और “विकसित भारत–विकसित बिहार” जैसे नारों से माहौल को देशभक्ति के रंग में रंग दिया।

भाजपा की 46 वर्षों की यात्रा पर प्रदर्शनी

इस खास मौके पर कार्यालय परिसर में एक विशेष प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसमें भाजपा की ऐतिहासिक यात्रा, संघर्ष, उपलब्धियाँ और बड़े नेताओं के योगदान की झलकियाँ प्रस्तुत की गईं। कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शनी में रुचि दिखाई और गर्व महसूस किया।


नेताओं का संबोधन: 2 से 303 सीटों का प्रेरक सफर

जिला अध्यक्ष हरि मोहन चौधरी और पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा,

“भाजपा ने 2 से 303 सीटों तक का लंबा सफर तय किया है। पार्टी देश की नहीं, अब विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है। हमारा लक्ष्य है 2047 तक भारत और बिहार को पूर्ण विकसित बनाना।”


सुरेश शर्मा ने अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी के योगदान को भी याद किया और कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में 225 सीटें जीतने के लिए जी-जान से मेहनत करें।

कार्यक्रम का संचालन और उपस्थित गणमान्य

कार्यक्रम का संचालन महामंत्री सम्राट कुमार ने किया।

इस अवसर पर विंदेश्वर साहनी, केदार साहनी, प्रो. राजेन्द्र कुमार पांडेय, प्रभु कुशवाहा, रामनरेश मालाकार, अजय गुप्ता, कुमारी ममता, रोहित चंद्र ठाकुर, राजकुमार श्रीवास्तव, सुधीर कुमार, विकास चौबे समेत बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता उपस्थित रहे।


भाजपा का स्थापना दिवस न केवल जश्न का अवसर था, बल्कि एक राजनीतिक प्रेरणा का मंच भी बना। पार्टी ने अतीत को याद करते हुए भविष्य की दिशा तय की, जिसमें 2047 तक विकसित भारत का संकल्प और बिहार में सत्ता वापसी की महत्वाकांक्षा प्रमुख रही।

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