मुजफ्फरपुर के वैज्ञानिक ने खोजी निमोनिया की नई दवा

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मुजफ्फरपुर के वैज्ञानिक ने खोजी निमोनिया की नई दवा
खोज को सेल प्रेस की प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय रिसर्च जर्नल में मिली जगह
मुजफ्फरपुर, वरीय संवाददाता।

मुजफ्फरपुर के चक्कर चौक निवासी और जर्मनी में कार्यरत वैज्ञानिक डॉ. आदित्य शेखर ने स्टेफिलोकोकस ऑरियस नामक जानलेवा बैक्टीरिया से होने वाले फेफड़ों के निमोनिया के खिलाफ एक क्रांतिकारी दवा की खोज की है। यह दवा बैक्टीरिया को सीधे मारने के बजाय, उसके द्वारा उत्पन्न एक खतरनाक टॉक्सिन को निष्क्रिय कर देती है। यह टॉक्सिन ही फेफड़ों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है।

डॉ. शेखर और उनकी टीम की यह रिसर्च अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित सेल प्रेस की वैज्ञानिक पत्रिका में प्रकाशित हुई है। यह उपलब्धि न केवल वैज्ञानिक जगत में अहम मानी जा रही है, बल्कि भारत और खासकर मुजफ्फरपुर के लिए भी गर्व की बात है।

बैक्टीरिया की ताकत को खत्म करती है दवा

डॉ. शेखर ने बताया कि पारंपरिक एंटीबायोटिक इलाज अक्सर एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस की वजह से असफल हो जाता है। नई दवा बैक्टीरिया को मारने के बजाय उसकी विषाक्तता को खत्म करती है, जिससे बैक्टीरिया की बीमारी फैलाने की क्षमता समाप्त हो जाती है और एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस की समस्या से भी बचा जा सकता है।

चूहों पर सफल परीक्षण, अब इंसानी ट्रायल की तैयारी

इस दवा का सफलतापूर्वक चूहों पर परीक्षण किया गया है। शोध में पाया गया कि संक्रमित चूहों को नई दवा से ठीक कर सक्रिय जीवन में लौटाया जा सका। अब इंसानों पर परीक्षण की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी चल रही है।

मुजफ्फरपुर के बेटे की अंतरराष्ट्रीय उड़ान

डॉ. आदित्य शेखर पिछले आठ वर्षों से जर्मनी के हेल्महोल्ट्ज सेंटर फॉर इंफेक्शन रिसर्च में कार्यरत हैं। उनके पिता डॉ. ज्ञानेंदु शेखर सदर अस्पताल, मुजफ्फरपुर में मेडिकल ऑफिसर हैं। डॉ. शेखर की यह खोज वैश्विक स्तर पर संक्रमण संबंधी बीमारियों के इलाज में एक नई उम्मीद लेकर आई है।

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