जिला उपभोक्ता आयोग ने रेलवे को भेजा नोटिस, 50 लाख मुआवजे की मांग

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मोक्ष से वंचित कर गई रेलवे की लापरवाही!

जिला उपभोक्ता आयोग ने रेलवे को भेजा नोटिस, 50 लाख मुआवजे की मांग

मुजफ्फरपुर | तिरहूत न्यूज़ स्पेशल रिपोर्ट

27 जनवरी 2025 — ये तारीख हर उस श्रद्धालु के लिए खास थी, जो महाकुंभ में अमृत स्नान कर मोक्ष की कामना करता है। लेकिन मुजफ्फरपुर के गायघाट प्रखंड के राजन झा और उनके परिजनों के लिए ये दिन एक गहरी पीड़ा की कहानी बन गया।

राजन झा ने अपने सास-ससुर के साथ प्रयागराज महाकुंभ स्नान के लिए रेलवे टिकट बुक कराया। लेकिन जब वे मुजफ्फरपुर स्टेशन पर ट्रेन पकड़ने पहुँचे, तो उन्हें झटका लगा — जिस बोगी में उनका रिजर्वेशन था, वह अंदर से बंद थी। बार-बार आग्रह के बावजूद रेलवे कर्मियों ने बोगी नहीं खुलवाई, और ट्रेन छूट गई।

आस्था से जुड़ी यात्रा, जो अधूरी रह गई

महाकुंभ का स्नान हिन्दू धर्म में आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का एकमात्र अवसर माना जाता है, और मौनी अमावस्या पर यह स्नान अति पावन होता है। यह कुंभ स्नान तो 144 वर्षों बाद आया था, और यही एकमात्र मौका था राजन झा और उनके बुजुर्ग परिजनों के लिए। लेकिन रेलवे की इस चूक ने उन्हें इस आध्यात्मिक यात्रा से वंचित कर दिया।

उपभोक्ता आयोग में दर्ज हुई याचिका

राजन झा ने इस मामले को केवल एक टिकट की बर्बादी नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अधिकार के हनन के रूप में देखा। उन्होंने मानवाधिकार अधिवक्ता एस.के. झा के माध्यम से मुजफ्फरपुर जिला उपभोक्ता आयोग में परिवाद दायर किया।

याचिका में 50 लाख रुपये के मुआवजे की माँग की गई है, जिसमें मानसिक आघात, धार्मिक आस्था की क्षति और रेलवे की सेवा में गंभीर कमी को आधार बनाया गया है।

रेलवे को मिला नोटिस, कई अधिकारी जवाबदेह

आयोग ने मामले की सुनवाई करते हुए भारतीय रेलवे, जीएम, ईस्ट सेंट्रल रेलवे, डीआरएम सोनपुर, स्टेशन अधीक्षक और स्टेशन मास्टर, मुजफ्फरपुर को नोटिस जारी किया है। आयोग ने सभी पक्षकारों को 9 जुलाई 2025 को उपस्थित होने का आदेश दिया है।

क्या कहते हैं अधिवक्ता एस.के. झा?

“यह मामला सिर्फ ट्रेन मिस होने का नहीं है, यह नागरिक के उपभोक्ता अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन का मामला है।

रेलवे ने अपनी सेवा में कमी बरती और इसके परिणामस्वरूप एक परिवार मोक्ष प्राप्ति जैसे आध्यात्मिक अनुभव से वंचित हो गया।”

अब क्या होगा आगे?

इस केस की सुनवाई में अगर आयोग पीड़ित के पक्ष में फैसला देता है, तो यह न सिर्फ एक मिसाल बनेगा बल्कि भारतीय रेलवे की जवाबदेही को भी नई दिशा देगा।

क्या आस्था और अधिकार की इस लड़ाई में न्याय मिलेगा? यह आने वाला समय बताएगा।

स्टोरी: तिरहूत न्यूज़ टीम | संपादन: धीरज ठाकुर

आपकी क्या राय है इस मामले पर? क्या रेलवे को मुआवजा देना चाहिए? नीचे कमेंट करें और खबर को शेयर करें।

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