
मुजफ्फरपुर, तिरहूत न्यूज। आंचलिकता के अप्रतिम चितेरे और हिन्दी साहित्य के शिल्पकार फणीश्वरनाथ रेणु को नूतन साहित्यकार परिषद, कांटी द्वारा उनकी पुण्यतिथि पर साहित्य भवन में भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि रेणु ने धूल-धूसरित, कीचड़ से सने देहात को अपनी लेखनी से हिन्दी साहित्य का चंदन बना दिया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए चंद्रभूषण सिंह ‘चंद्र’ ने कहा कि रेणु की लेखनी में लोकगीत, लोकोक्ति, लोक संस्कृति, लोक भाषा और लोक नायक की मिठास है। उन्होंने आम जनजीवन को जिस जीवंतता के साथ साहित्य में स्थान दिया, वह हिन्दी साहित्य में दुर्लभ है। रेणु का साहित्य आम आदमी के प्रति समर्पण और उनके अनुभवों से प्रेरित होकर लिखा गया है।
उन्होंने कहा कि रेणु के पात्र साहित्यिक रूढ़ियों में बंधे नहीं हैं, बल्कि आज़ाद तबियत के हैं। वे केवल सामाजिक समस्याओं पर विचार नहीं करते थे, बल्कि उन आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी भी निभाते थे और अपनी कलम से आवाज़ भी उठाते थे।
‘नेपाली क्रांति कथा’ जैसा रिपोर्ताज साहित्य की विरासत
रेणु का कथेतर साहित्य भी उतना ही महत्वपूर्ण है। रिपोर्ताज लेखक के रूप में भी उनकी अलग पहचान रही है। उनका प्रसिद्ध रिपोर्ताज संग्रह नेपाली क्रांति कथा आज भी प्रासंगिक है।
कार्यक्रम में स्वराजलाल ठाकुर ने कहा कि रेणु एक युगबोधी और दूरदर्शी साहित्यकार थे। वे चुनावों में पेड न्यूज और मीडिया-राजनीतिक गठजोड़ जैसे मुद्दों को दशकों पहले ही उजागर कर चुके थे।
राकेश कुमार राय ने कहा कि रेणु की लेखनी ने स्वतंत्रता आंदोलन में भी भूमिका निभाई। उनका साहित्य संघर्ष, बदलाव और जन चेतना का प्रतीक है।
उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में शामिल थे:
अधिवक्ता नीरज शर्मा, रविभूषण सिंह रवि, नंदकिशोर ठाकुर, महेश कुमार, रामेश्वर महतो, रोहित रंजन, मनोज मिश्र सहित कई साहित्यप्रेमी।