
पटना, तिरहूत न्यूज ब्यूरो: बिहार की राजनीति में शनिवार को उस वक्त दिलचस्प मोड़ आ गया जब पटना के बापू सभागार में आयोजित ‘भीम संवाद’ कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपना भाषण रोककर मंच से सवाल किया — “अशोक चौधरी कहां हैं… खड़े हो जाइए“। जैसे ही सीएम की आवाज गूंजी, मंत्री अशोक चौधरी हाथ जोड़ते हुए दौड़ते-दौड़ते मंच पर पहुंचे।
मुख्यमंत्री ने अशोक चौधरी को क्यों बुलाया?
भीम संवाद कार्यक्रम जनता दल यूनाइटेड (JDU) द्वारा दलित समुदाय के साथ संवाद स्थापित करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था। इस पूरे आयोजन की कमान जेडीयू के वरिष्ठ नेता और मंत्री अशोक चौधरी के हाथ में थी।
सीएम नीतीश कुमार ने न सिर्फ उनका सार्वजनिक रूप से नाम लिया, बल्कि उन्हें मंच पर बुलाकर यह भी कहा:
“हमलोगों ने दलितों के लिए कितना काम किया, बताइए। पूछिएगा ना?”
अशोक चौधरी ने हाथ जोड़कर ‘हां’ में सिर हिलाया और मुख्यमंत्री के पीछे खड़े हो गए।
राजनीतिक संकेत: ‘कांग्रेस से हमारे साथ आए और अच्छा काम कर रहे हैं’
नीतीश कुमार का यह सार्वजनिक बयान सिर्फ औपचारिक प्रशंसा नहीं था, बल्कि उसमें राजनीतिक संदेश भी छिपा था। अशोक चौधरी कभी कांग्रेस के नेता थे, लेकिन अब जेडीयू के महत्वपूर्ण चेहरे बन चुके हैं।
सीएम ने संकेत दिया कि वे कांग्रेस से आए, अब पार्टी और सरकार के साथ जुड़कर सकारात्मक कार्य कर रहे हैं — और यही ‘भीम संवाद’ जैसे कार्यक्रमों में दिख रहा है।
बापू सभागार में जनसैलाब, नीतीश भावुक
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूरे कार्यक्रम के दौरान भावुक नजर आए। उन्होंने मंच से कहा कि सभागार के अंदर और बाहर इतनी भीड़ देखकर उन्हें गर्व हो रहा है। यह आयोजन सामाजिक न्याय की दिशा में उनकी सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
निष्कर्ष: दलित वोट बैंक को साधने की कोशिश या नेतृत्व पर भरोसा?
नीतीश कुमार द्वारा अशोक चौधरी को मंच पर बुलाना, उन्हें सार्वजनिक रूप से सराहना देना और ‘भीम संवाद’ कार्यक्रम को सफल बताना — इन सभी घटनाओं को एक राजनीतिक संदेश के तौर पर देखा जा रहा है।
बिहार की राजनीति में जहां दलित वर्ग का वोट बेहद महत्वपूर्ण है, वहीं नीतीश कुमार यह जताने की कोशिश कर रहे हैं कि उनकी सरकार अब भी सामाजिक न्याय के एजेंडे को मजबूती से आगे बढ़ा रही है — और इसके लिए अशोक चौधरी जैसे नेताओं पर उन्हें पूरा भरोसा है।