प्रयागराज के बैंक में बंद रहस्य अप्रैल में खुलेगा बेतिया राज का पिटारा

Tirhut News

200 करोड़ के गहनों से भरी बेतिया महारानी की तिजोरी अप्रैल के अंत तक खुलेगी; प्रयागराज के महल और बैंक में छुपे हैं कई ‘राज’

तिरहूत न्यूज डेस्क | प्रयागराज

बिहार और उत्तर प्रदेश की रियासतों में एक अहम नाम रही बेतिया राज की संपत्तियों और इतिहास से जुड़ा एक रहस्य अब सामने आने वाला है। प्रयागराज के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की त्रिवेणी शाखा में मौजूद बेतिया महारानी जानकी कुंवर की तिजोरी को अप्रैल के अंतिम सप्ताह में खोला जाएगा। इस तिजोरी में करीब 200 करोड़ रुपये मूल्य के हीरे-जवाहरात और ऐतिहासिक दस्तावेज रखे होने की संभावना है।

बेतिया राजघराने की संपत्तियों की खोज तेज

बिहार सरकार द्वारा नवंबर 2024 में बेतिया राजघराने की 15,200 एकड़ से अधिक जमीन को अधिग्रहण करने के लिए विधेयक पारित किए जाने के बाद इस मामले में तेजी आई है। राजस्व परिषद के विशेष अधिकारी के. के. पाठक को बेतिया राजघराने की सम्पत्तियों की जांच और चिन्हीकरण का कार्य सौंपा गया है।

इस क्रम में अधिकारियों ने प्रयागराज स्थित स्ट्रैची रोड का भी दौरा किया, जहां रानी जानकी कुंवर ने अपने अंतिम दिन बिताए थे। यही नहीं, सिविल लाइंस स्थित इस भवन को भी जांचा गया, जहां रानी ने 1954 में अंतिम सांस ली थी।

तिजोरी में छुपे हैं इतिहास के पन्ने

आजादी से पहले 1939 में रानी जानकी कुंवर ने इंपीरियल बैंक (वर्तमान एसबीआई) में लॉकर लिया था। उस समय उन्होंने 5.5 लाख रुपये मूल्य के गहने तिजोरी में रखे थे। वर्तमान में इन गहनों की कीमत 200 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई है। गहनों में मोतियों की माला, नवरत्न हार, चंद्रहार, बड़े हीरे की अंगूठियां और सोने से जड़ा पलंग शामिल हैं।

वीडियोग्राफी के बीच खुलेंगे बक्से

प्रयागराज के जिलाधिकारी रवींद्र कुमार मांदड़ के अनुसार, सभी कानूनी औपचारिकताओं के बाद अप्रैल के अंतिम सप्ताह में इस तिजोरी को वीडियोग्राफी की निगरानी में खोला जाएगा। संभावना है कि तिजोरी से ना केवल बहुमूल्य गहने निकलेंगे बल्कि बेतिया राज से जुड़े कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और अनछुए ‘राज’ भी उजागर होंगे।

संपत्ति पर कब्जा या सरकारी दफ्तर

प्रयागराज में बेतिया राजघराने की करीब 4.54 एकड़ भूमि है, जिनकी कीमत करीब 117.56 करोड़ रुपये आंकी गई है। इनमें से कई संपत्तियों पर सरकारी कार्यालय चल रहे हैं या अनधिकृत कब्जा है। यहां तक कि प्रयागराज का सर्किट हाउस भी बेतिया राज की जमीन पर बना हुआ है।

यूपी-बिहार के 14 जिलों में फैली है रियासत

बेतिया राजघराने की रियासत बिहार और उत्तर प्रदेश के कुल 14 जिलों में फैली है। बिहार में जहां लगभग 15,000 एकड़ जमीन है, वहीं उत्तर प्रदेश में 143.26 एकड़ भूमि है, जिनकी कुल अनुमानित कीमत करीब 7,960 करोड़ रुपये है। कुशीनगर, गोरखपुर, वाराणसी, प्रयागराज और मिर्जापुर जैसे जिलों में यह ज़मीन फैली हुई है।

रानी जानकी कुंवर का ऐतिहासिक योगदान

राजा हरेंद्र किशोर सिंह की पत्नी रानी जानकी कुंवर ने अपने जीवन का अंतिम समय प्रयागराज में बिताया। उनकी कोई संतान नहीं थी। अंग्रेज सरकार ने उन्हें अयोग्य घोषित कर सम्पत्ति को कोर्ट ऑफ वार्ड्स को सौंप दिया था। रानी ने अपनी संपत्ति और दस्तावेजों की सुरक्षा के लिए बैंक लॉकर का सहारा लिया।

800 साल पुरानी विरासत

बेतिया राजघराने का इतिहास 1325 ईस्वी तक जाता है, जब गयासुद्दीन तुगलक ने इस क्षेत्र पर आक्रमण किया था। मुगल शासनकाल के दौरान आईन-ए-अकबरी में भी इसका उल्लेख मिलता है। यह रियासत मिथिला, तिरहुत और चंपारण क्षेत्र की सांस्कृतिक और राजनीतिक धरोहर का प्रतिनिधित्व करती है।

“तिरहूत समाचार से तिरहूत न्यूज़ तक” की इस विशेष श्रृंखला में हम आपको आगे भी बेतिया राजघराने के रहस्यों, संपत्तियों और ऐतिहासिक दस्तावेजों से जुड़ी जानकारियाँ देते रहेंगे।

रिपोर्टिंग: धीरज ठाकुर | संपादन: तिरहूत न्यूज़ डेस्क

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