
“अब खामोश नहीं रहूंगा, मुस्लिम समाज को चाहिए अपना सशक्त राजनीतिक नेतृत्व” – पूर्व IG नुरुल होदा का ऐलान
बिहार की राजनीति में बड़ा धमाका हुआ है। 1995 बैच के IPS और पूर्व रेलवे IG मोहम्मद नुरुल होदा ने सरकारी सिस्टम से मोहभंग के बाद अब सियासत की राह पकड़ ली है। उन्होंने वक्फ संशोधन कानून को लेकर विरोध जताते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। अब उन्होंने वीआईपी (विकासशील इंसान पार्टी) का दामन थामते हुए राजनीति में एंट्री ली है।
सीतामढ़ी के मूल निवासी और दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री लेने वाले होदा ने मुकेश सहनी की पार्टी में शामिल होकर साफ संदेश दिया है – “अब मुस्लिम समाज की खामोशी खत्म होगी, उसे सशक्त नेतृत्व मिलेगा।”
होदा की एंट्री – सहनी की रणनीति
पूर्व आईपीएस अधिकारी को पार्टी में शामिल कर मुकेश सहनी ने बड़ा दांव चला है। जबकि बीजेपी के नेता दिलीप जायसवाल ने एक दिन पहले ही सहनी को अप्रत्यक्ष संकेत देकर एनडीए का न्योता दिया था, लेकिन सहनी ने पलटवार किया – “हम महागठबंधन में थे, हैं और रहेंगे।”
क्यों इस्तीफा दिया होदा ने?
होदा वक्फ कानून को मुस्लिम समुदाय के अधिकारों के खिलाफ मानते हैं। संसद से विधेयक पारित होने और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद उन्होंने खुले तौर पर नाराजगी जताई और अपनी कुर्सी छोड़ दी। अब वे सीधे सियासत के अखाड़े में हैं।
राजनीतिक संदेश साफ है:
• IPS की टोपी छोड़ अब नेतागीरी का ताज
• मुस्लिम वोट बैंक को साधने की तैयारी
• वक्फ मुद्दे पर विपक्ष को मिल सकता है नया चेहरा
बिहार की राजनीति में IPS से नेता बने नुरुल होदा की एंट्री केवल एक दल-बदल नहीं, बल्कि एक विचारधारा का विरोध है। अब देखना होगा कि वे वीआईपी के सहारे किस हद तक सियासी ज़मीन तैयार कर पाते हैं।