
मुजफ्फरपुर के ‘बबुआ डॉन’ की गिरफ़्तारी: एक दशक से ज़्यादा वक्त तक अपराध की दुनिया में राज करने वाला कुख्यात शराब माफिया अब सलाखों के पीछे
रिपोर्ट: धीरज ठाकुर | तिरहूत न्यूज | मुजफ्फरपुर
“धंधा कुछ भी हो, डर और दबदबा सबसे ज़रूरी है…” — ये संवाद किसी फिल्मी विलेन का नहीं, बल्कि मुजफ्फरपुर के कुख्यात शराब माफिया अजय झा उर्फ बबुआ डॉन के कथित तौर पर इस्तेमाल किए गए शब्द हैं, जो अब पुलिस के शिकंजे में है।
गिरफ्तारी की कार्रवाई:
सोमवार सुबह, मिठनपुरा थाना क्षेत्र के मस्जिद चौक के पास चल रहे नियमित वाहन चेकिंग अभियान में पुलिस को बड़ी सफलता मिली। एक संदिग्ध बाइक सवार को रोकने पर उसके पास से देशी पिस्टल, दो जिंदा कारतूस, और 120 पुड़िया स्मैक बरामद हुआ। पूछताछ में खुलासा हुआ कि यह कोई मामूली तस्कर नहीं, बल्कि सकरा थाना क्षेत्र के धर्मागतपुर गंगटी निवासी अजय झा उर्फ बबुआ डॉन है — जिसे जिले का ‘शराब सिंडिकेट किंग’ माना जाता रहा है।
आपराधिक साम्राज्य की परतें:
बबुआ डॉन का नाम पिछले एक दशक से मुजफ्फरपुर और सीमावर्ती जिलों में चल रहे अवैध शराब और नशा तस्करी रैकेट में सबसे ऊपर रहा है। 2010 से लेकर 2025 तक, उस पर 20 से अधिक संगीन आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। इनमें हत्या, हत्या की कोशिश, आर्म्स एक्ट, शराब और स्मैक तस्करी, धोखाधड़ी और रंगदारी जैसे मामले शामिल हैं।
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, कांड सं. 414/10 (धारा-302) से लेकर हालिया कांड सं. 141/25 (धारा-30A मद्य निषेध अधिनियम) तक, वह लगातार आपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहा और कई बार जमानत पर छूटने के बाद दोबारा संगठित अपराधों को अंजाम देता रहा।
डॉन से अपराधी तक का सफर:
स्थानीय सूत्र बताते हैं कि बबुआ डॉन की शुरुआत छोटी शराब तस्करी से हुई थी, लेकिन धीरे-धीरे उसने अवैध हथियार तस्करी और स्मैक के कारोबार में पैर पसार लिए। उसका नेटवर्क सिर्फ मुजफ्फरपुर तक सीमित नहीं, बल्कि समस्तीपुर, वैशाली और दरभंगा जिलों तक फैला हुआ था।
कई बार उस पर राजनेताओं और अधिकारियों के साथ साठगांठ के भी आरोप लगे, लेकिन कोई पुख्ता सबूत सामने नहीं आ सका।
पुलिस की रणनीति:
वरीय पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर चलाए जा रहे “ऑपरेशन क्लीन” के तहत पुलिस लंबे समय से बबुआ डॉन के मूवमेंट पर नजर रखे हुए थी। गुप्त सूचना के आधार पर योजना बनाकर चेकिंग प्वाइंट पर उसे धर-दबोचा गया।
कानूनी कार्रवाई जारी:
बबुआ डॉन के खिलाफ मिठनपुरा थाना कांड सं. 92/25 दर्ज कर लिया गया है और आगे की कानूनी प्रक्रिया जारी है। पुलिस को उम्मीद है कि इस गिरफ्तारी से जिले में शराब और नशा माफिया नेटवर्क की रीढ़ टूटेगी।
विशेष विश्लेषण:
बबुआ डॉन की गिरफ्तारी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उस सिस्टम पर सवाल है जो इतने वर्षों तक उसे पनपने देता रहा। यह एक मिसाल है कि अगर पुलिस और प्रशासन ठान ले, तो कोई भी डॉन ज्यादा दिन तक बच नहीं सकता।
(यह रिपोर्ट तिरहूत न्यूज की विशेष क्राइम टीम द्वारा तैयार की गई है। अधिक अपडेट के लिए जुड़े रहिए हमारे पोर्टल और सोशल मीडिया से।)