

मुजफ्फरपुर के कांटी क्षेत्र में श्मशान भूमि पर पंचायत सरकार भवन निर्माण को लेकर जहां स्थानीय लोग उग्र हैं, वहीं अब इस मुद्दे पर राजनीति भी गरमा गई है। पूर्व मंत्री व भाजपा नेता अजीत कुमार ने इसे साजिश बताते हुए प्रशासन को आड़े हाथों लिया है।
मुजफ्फरपुर। कांटी प्रखंड अंतर्गत झिटकाही मधुबन पंचायत के बथनाहा गांव में वर्षों पुराने श्मशान भूमि पर पंचायत सरकार भवन निर्माण को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। स्थानीय लोगों के भारी विरोध के बीच अब इस मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया है।
मंगलवार को भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री अजीत कुमार साइन पट्टी बगड़ा गांव पहुंचे, जहां उन्होंने ग्रामीणों के साथ बैठक की और प्रशासन के फैसले को ‘जनभावना के विरुद्ध’ बताया। उन्होंने कहा:
“जब बगल में कई एकड़ जमीन खाली है, तो श्मशान की जमीन पर पंचायत भवन बनाने की क्या मजबूरी है? यह पूरी तरह से एक सोची-समझी साजिश है, जिसकी हम घोर निंदा करते हैं।”
राजनीतिक पृष्ठभूमि का एंगल:
यह मामला ऐसे समय में उभरा है जब बिहार में पंचायतों को सशक्त बनाने की कवायद चल रही है और सरकार पंचायत सरकार भवनों को प्राथमिकता दे रही है। लेकिन इस मामले में सत्ता पक्ष के स्थानीय जनप्रतिनिधियों की चुप्पी और एनओसी प्रक्रिया में गड़बड़ी को लेकर विपक्ष ने सवाल उठा दिए हैं।
पूर्व मंत्री अजीत कुमार ने यह भी आरोप लगाया कि –
“एनओसी के लिए जरूरी ग्राम सभा कभी हुई ही नहीं, यह फर्जी तरीके से कागज तैयार कर लिया गया है। ये पूरी प्रक्रिया पारदर्शिता के खिलाफ है और इससे प्रशासन की मंशा पर सवाल उठते हैं।”
भाजपा नेता का यह बयान ऐसे समय आया है जब कांटी विधानसभा क्षेत्र में आगामी निकाय और पंचायत उपचुनाव की सरगर्मियाँ शुरू हो रही हैं। ऐसे में यह मामला स्थानीय प्रशासन और सत्तारूढ़ दल के लिए सिरदर्द बन सकता है।
स्थानीय समर्थन और विरोध की लहर:
ग्रामीणों ने स्पष्ट किया है कि यदि यह निर्णय वापस नहीं लिया गया तो वे सड़क पर उतरेंगे। बैठक में दर्जनों गांवों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें मिठू पांडे, देव कुमार महतो, अशोक पांडे, गगन देव ठाकुर, रामाश्रय महतो जैसे प्रमुख नाम शामिल रहे।
निष्कर्ष:
जहां एक ओर प्रशासन इसे विकास कार्य बता रहा है, वहीं दूसरी ओर लोग इसे “सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक परंपरा” के साथ खिलवाड़ मान रहे हैं। अब जब भाजपा जैसे प्रमुख विपक्षी दल के नेता खुलकर मैदान में उतर आए हैं, तो यह मामला सिर्फ सामाजिक नहीं, बल्कि राजनीतिक रूप से भी तूल पकड़ चुका है।