
परिस्थिति युद्ध की तरफ खिंचेगी तो भारत अवश्य लड़ेगा
लेखक: प्रदीप कुमार नायक | स्वतंत्र लेखक एवं पत्रकार
चीन-पाकिस्तान गठजोड़ भारत को लंबे युद्ध में धकेलना चाहता था, लेकिन भारत ने इस बार इतिहास रचते हुए केवल आतंकियों को नहीं बल्कि आतंक की फैक्ट्री को ही जड़ से समाप्त कर दिया है। ट्रम्प प्रशासन की रणनीति, पाकिस्तान की स्वीकारोक्ति और भारत की निर्णायक सैन्य कार्रवाई—यह पूरा घटनाक्रम आने वाले दशकों की विदेश नीति और आंतरिक सुरक्षा का आधार बनेगा।
ट्रम्प की चेतावनी और चीन की चाल
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत को स्पष्ट शब्दों में आगाह किया कि चीन भारत को रूस और पाकिस्तान को यूक्रेन बनाना चाहता है—यानी स्वयं युद्ध से दूर रहकर भारत को उलझाना चाहता है। ट्रम्प भारत को चीन का विकल्प मानते हैं और चाहते थे कि अमेरिकी कंपनियाँ चीन से भारत शिफ्ट हों।
पाकिस्तान: एक सेना-प्रधान देश
लेखक प्रदीप नायक लिखते हैं, “पाकिस्तान दुनिया का इकलौता देश है जहाँ सेना के लिए देश बना है।” चीन पाकिस्तान को एक प्रॉक्सी के रूप में इस्तेमाल कर भारत को उलझाना चाहता था, और पहलगाम अटैक इसी रणनीति का हिस्सा था। यह केवल पाकिस्तानी साज़िश नहीं, बल्कि चीनी-प्रेरित थी।
इस बार बदली है रणनीति
भारत ने पहली बार आतंक की फैक्ट्री चलाने वालों को निशाना बनाया, केवल आतंकियों को नहीं। यह पहली बार है जब भारत ने दुश्मन के सुरक्षित क्षेत्रों को भी ध्वस्त किया है और ‘रक्तबीज’ आतंक का स्रोत समाप्त करने का संदेश दिया है।
पाकिस्तान की स्वीकारोक्ति और चीन की हताशा
पाकिस्तानी रक्षा मंत्री द्वारा अमेरिका-यूरोप के कहने पर आतंकवाद को समर्थन देने की स्वीकारोक्ति के बाद पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंच पर नंगा हो गया। दूसरी ओर, चीन युद्ध को जारी रखने का दबाव बनाता रहा, लेकिन ट्रम्प प्रशासन की रणनीति ने पाकिस्तान को भारत की शर्तों पर सीज़फायर को मजबूर किया।
क्या यह ग़ाज़ा बन सकता है?
लेख में यह भी स्पष्ट किया गया है कि पाकिस्तान को ग़ाज़ा की तरह तबाह कर देना संभव नहीं क्योंकि वह एक विस्तृत देश है। भारत की नीति आम नागरिकों पर हमले की नहीं, बल्कि लक्षित कार्रवाई की है।
भारत की युवा शक्ति और भविष्य की रणनीति
भारत की जनसंख्या अभी युवा है, और यह आने वाले 15-20 वर्षों में बुजुर्ग होती जाएगी। ऐसे में बड़े युद्ध की ओर बढ़ना रणनीतिक दृष्टि से उचित नहीं। लेकिन यदि हालात मजबूर करेंगे, तो भारत पीछे नहीं हटेगा।
निष्कर्ष:
भारत ने अब यह स्पष्ट कर दिया है कि वह आतंक के स्रोत को समाप्त करेगा, सिर्फ लक्षण नहीं। यह रणनीति भारत को आत्मनिर्भर और अधिक सुरक्षित राष्ट्र बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
विशेष टिप्पणी:
लेखक का यह दृष्टिकोण भावनात्मक तो है ही, साथ ही भविष्य की विदेश नीति, रक्षा रणनीति और वैश्विक शक्ति समीकरणों को भी उजागर करता है। ट्रम्प प्रशासन का भारत के पक्ष में खड़ा होना, इस पूरे घटनाक्रम को निर्णायक बनाता है।