
स्पेशल स्टोरी | तिरहूत न्यूज़
गोपालगंज में कबाड़ का काला कारोबार: बिना लाइसेंस, टैक्स चोरी और चोरी के सामान की खुली मंडी
ब्यूरो रिपोर्ट | गोपालगंज
गोपालगंज जिले में कबाड़ का कारोबार अब केवल पुराने सामानों की खरीद-बिक्री तक सीमित नहीं रह गया है। यह एक ऐसा अवैध उद्योग बन चुका है, जिसमें करोड़ों का लेन-देन हो रहा है, बिना किसी लाइसेंस, बिना टैक्स और प्रशासनिक नियंत्रण के। कबाड़ के नाम पर चल रहे इस व्यापार की परतें खोलती यह तिरहूत न्यूज़ की ग्राउंड रिपोर्ट चौंकाने वाले तथ्य सामने लाती है।
नाम कबाड़ी, काम करोड़ों का
जिले में 100 से अधिक कबाड़ी सक्रिय हैं। अधिकांश के पास ना नगर परिषद से लाइसेंस है, ना जिला उद्योग केंद्र से अनुमति और ना ही जीएसटी रजिस्ट्रेशन। फिर भी हर महीने लाखों का मुनाफा और सालाना करोड़ों का कारोबार जारी है।
कबाड़ में बिकता है चोरी का सामान
साइकिल, बाइक, छड़, लोहे का सामान, सोलर प्लेट – ये सब चोरी होकर सीधे कबाड़ दुकानों तक पहुंचते हैं। बिना किसी सत्यापन के कबाड़ी इन्हें खरीदते हैं और बाद में कलपुर्जों में तोड़कर बेच देते हैं। कई बार ट्रक तक काट दिए जाते हैं और कोई सबूत नहीं बचता।
दुकानें चल रहीं बिना रसीद और रिकॉर्ड के
कबाड़ की इन दुकानों में कोई खरीद-बिक्री रजिस्टर नहीं रखा जाता। न ही कोई GST इनवॉइस या पहचान दस्तावेज लिया जाता है। यानी न तो सरकार को टैक्स मिलता है और न ही पुलिस को कोई ट्रेसिंग क्लू।
अवैध व्यापार के मुख्य केंद्र
• नगर थाना के समीप बंजारी हाईवे
• थावे थाना के पास जगमलवा गांव
• बरौली थाना क्षेत्र के सिसई गांव
• बैकुंठपुर, सासामुसा, जलालपुर, मीरगंज, कटेया के बाजार
यहां कई कबाड़ी खुलेआम चोरी का सामान खरीदते हैं। थानों के पास दुकानों का होना यह भी दर्शाता है कि प्रशासनिक लाचारी या मिलीभगत से यह धंधा फल-फूल रहा है।
ट्रक दर ट्रक कबाड़ भेजा जा रहा बंगाल-झारखंड
हर महीने 10 से 15 ट्रक कबाड़ गोपालगंज से बंगाल और झारखंड भेजा जा रहा है। इसमें अधिकांश सामान स्थानीय स्तर पर चोरी या अवैध तरीके से इकट्ठा किया गया होता है।
प्रशासन और विभाग मौन क्यों?
सेल्स टैक्स, पुलिस और नगर निकायों को इसकी पूरी जानकारी है, फिर भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती। यही कारण है कि यह कारोबार और भी संगठित होता जा रहा है। सैकड़ों मजदूर इस कारोबार से जुड़े हैं, लेकिन पूरी व्यवस्था असंगठित और अवैध है।
एक कबाड़ी गिरफ्तार, लेकिन कारोबार जारी
बरौली थाना क्षेत्र में एक कबाड़ी को चोरी का सामान खरीदने के आरोप में जेल भेजा गया। लेकिन इससे बाकी दुकानदारों पर कोई असर नहीं पड़ा। थानों के सामने दुकानें चल रही हैं – सवाल यह है कि क्या प्रशासन वाकई कार्रवाई करना चाहता है?
रोजगार बनाम अपराध का जाल
बेशक कबाड़ कारोबार से स्थानीय स्तर पर रोजगार मिला है, लेकिन यह रोजगार एक ऐसे धंधे से जुड़ा है, जिसमें चोरी, टैक्स चोरी और पर्यावरण प्रदूषण सब कुछ शामिल है। यह एक ‘क्राइम-इकोनॉमी’ का हिस्सा बनता जा रहा है।
तिरहूत न्यूज़ की अपील
सरकार और प्रशासन को चाहिए कि कबाड़ कारोबार को नियामक ढांचे में लाया जाए। लाइसेंस, GST और सत्यापन प्रक्रिया को अनिवार्य बनाया जाए, ताकि इससे जुड़े लोग भी सुरक्षित रहें और सरकार को राजस्व भी मिले।