ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर मधुबनी में निकली ऐतिहासिक तिरंगा यात्रा, वीर जवानों को किया गया नमन

Tirhut News

टाउन क्लब मैदान से हजारों देशभक्तों ने निकाली पदयात्रा, पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ गूंजे नारे
प्रदीप कुमार नायक | स्वतंत्र लेखक एवं पत्रकार

स्थान: मधुबनी | प्रकाशन: तिरहूत न्यूज़ | विशेष रिपोर्ट

भारतीय सेना द्वारा आतंक के खिलाफ चलाए गए ऐतिहासिक “ऑपरेशन सिंदूर” की सफलता के बाद मधुबनी जिले में राष्ट्रभक्ति की अनोखी मिसाल पेश की गई। टाउन क्लब मैदान से भव्य तिरंगा यात्रा निकाली गई, जिसमें हजारों नागरिक, जनप्रतिनिधि, समाजसेवी और राजनीतिक कार्यकर्ता शामिल हुए। यह यात्रा वीर जवानों के साहस और भारत की नई सुरक्षा नीति के समर्थन में निकाली गई।

राजनगर के विधायक एवं पूर्व मंत्री रामप्रीत पासवान ने इस मौके पर कहा, “ऑपरेशन सिंदूर हमारे सैनिकों की वीरता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृढ़ नेतृत्व का परिणाम है। यह तिरंगा यात्रा आतंकवाद के खिलाफ भारत की एकजुटता का प्रतीक है।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई को राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा था— “आतंकवाद और व्यापार-वार्ता एक साथ नहीं चल सकते, पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते।” उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत अब सिर्फ़ ‘कड़ी निंदा’ नहीं, बल्कि सर्जिकल और निर्णायक कार्रवाई की नीति अपनाएगा।

भाजपा के 20 सूत्री कार्यक्रम अध्यक्ष मृतुंजय कुमार कुंदन ने कहा, “यह तिरंगा यात्रा उन वीरों के सम्मान में है जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर देश को आतंक से बचाया। ऑपरेशन सिंदूर भारत की जीरो टॉलरेंस नीति का प्रतीक बन चुका है।”

जिला स्तरीय भाजपा नेता श्रवण साह ने कहा, “यह पैदल मार्च सिर्फ़ एक आयोजन नहीं, बल्कि पूरे भारतवर्ष की आवाज़ है जो कह रही है – अब हम नहीं सहेंगे।”

भाजपा महिला मोर्चा की सक्रिय कार्यकर्ता मीनाक्षी उर्फ लक्खी श्रीवास्तव ने बताया कि महिलाओं की भी भारी भागीदारी इस यात्रा में रही। उनका कहना था, “हम भारत की बेटियाँ भी सेना के पराक्रम से गौरवान्वित हैं।”

विश्लेषण:

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का इतिहास लंबा है। 1971 के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को विभाजित कर बांग्लादेश को स्वतंत्रता दिलाई थी। इसके बाद पाकिस्तान ने छद्म युद्ध—आतंकवाद के माध्यम से भारत को अस्थिर करने की कोशिश की। परंतु अब भारत की रणनीति बदल चुकी है।

“ऑपरेशन सिंदूर” की सफलता इस बदलाव की मिसाल है। भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब वह सबूत नहीं देगा, बल्कि कार्रवाई करेगा।

पाकिस्तान की भीतरी स्थिति भी दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। बलूचिस्तान, सिंध और खैबर पख्तूनख्वा में अलगाववाद बढ़ रहा है। आतंकी संगठन आपसी संघर्ष में सैकड़ों पाकिस्तानी सैनिकों की हत्या कर रहे हैं।

निष्कर्ष:

मधुबनी की तिरंगा यात्रा केवल एक स्थानीय आयोजन नहीं था, यह भारत की आत्मा की आवाज़ थी। एक स्वर, जो कह रहा था— “हम शांति चाहते हैं, पर शांति की कीमत कमजोरी नहीं होगी।”

इस आयोजन में स्वर्णिम गुप्ता, मीडिया प्रभारी मनोज मुन्ना, फेकू यादव, सुजीत पासवान सहित हजारों लोगों ने भाग लिया और यह सुनिश्चित किया कि वीर जवानों का सम्मान जन-जन तक पहुँचे।

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *