शाही लीची और मखाना अब डाक टिकट पर! बिहार के चार उत्पादों को मिला GI टैग के साथ राष्ट्रीय सम्मान।

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शाही लीची से मखाना तक: बिहार के चार जीआई टैग उत्पाद अब देश के डाक टिकट पर

मुजफ्फरपुर | 27 मई 2025

भारत सरकार के डाक विभाग ने अपने 150 वर्षों के ऐतिहासिक सफर को यादगार बनाने के लिए एक अनोखी पहल की है। विभाग ने देश के अलग-अलग राज्यों के विशिष्ट जीआई टैग उत्पादों को समर्पित डाक टिकट जारी किए हैं। बिहार के लिए यह अवसर ऐतिहासिक है, क्योंकि राज्य के चार विशिष्ट उत्पाद—मुजफ्फरपुर की शाही लीची, मिथिला का मखाना, भागलपुर का जर्दालु आम, और मगध का मगही पान—को इस सम्मानजनक सूची में स्थान मिला है।

150 वर्षों में पहली बार बिहार के उत्पाद डाक टिकट पर

यह पहला अवसर है जब बिहार के किसी भी जीआई टैग उत्पाद को भारतीय डाक टिकट पर स्थान दिया गया है। इससे इन उत्पादों की ब्रांड वैल्यू अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और मजबूत होगी। डाक विभाग की इस ऐतिहासिक घोषणा ने राज्य के किसानों, उद्यमियों और बाजार से जुड़े लोगों में हर्ष की लहर दौड़ा दी है।

मुजफ्फरपुर की शाही लीची: स्वाद और पहचान दोनों

मुजफ्फरपुर की शाही लीची न केवल अपने रसीले स्वाद और सुगंध के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह क्षेत्र की एक सांस्कृतिक पहचान भी बन चुकी है। जीआई टैग मिलने के बाद इसकी मांग विदेशों में भी बढ़ी है। अब डाक टिकट पर स्थान मिलने से यह वैश्विक पहचान और मजबूत होगी।

मिथिला का मखाना: हेल्दी सुपरफूड की राष्ट्रीय मान्यता

मखाना, जिसे मिथिला के तालाबों और पोखरों में परंपरागत तरीकों से उगाया जाता है, अब ‘सुपरफूड’ की श्रेणी में आता है। इसकी खपत भारत ही नहीं, विदेशों में भी तेजी से बढ़ रही है। अब इसका चित्र डाक टिकट पर छपना, मिथिला की कृषि परंपरा के लिए गौरव का विषय है।

भागलपुर का जर्दालु आम और मगही पान को भी मिला स्थान

भागलपुर के जर्दालु आम अपनी सुगंध और मिठास के लिए पहचाने जाते हैं, वहीं मगही पान स्वाद, सुगंध और औषधीय गुणों के कारण खास है। इन दोनों उत्पादों को डाक टिकट पर स्थान मिलना बिहार की विविध कृषि संपन्नता को दर्शाता है।

समाजसेवियों और संगठनों का योगदान

नॉर्थ बिहार फ्रूट्स एंड फ्लोरीकल्चर सोसाइटी एवं कई सामाजिक संगठनों के वर्षों के प्रयासों का यह परिणाम है कि आज बिहार के ये अनमोल उत्पाद राष्ट्रीय पहचान प्राप्त कर रहे हैं।

संगठन के अध्यक्ष अर्चना पांडेय ने कहा, “यह केवल एक टिकट नहीं, बल्कि हमारे किसानों के परिश्रम और हमारी संस्कृति की मान्यता है।”

बिहार की ब्रांडिंग को नई दिशा

यह उपलब्धि बिहार को कृषि पर्यटन, निर्यात, और अंतरराष्ट्रीय बाजार में नई पहचान देने का माध्यम बन सकती है। इन उत्पादों के प्रमोशन से राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।

“तिरहूत न्यूज़” इस ऐतिहासिक मौके पर राज्य के हर उस किसान और उत्पादक को सलाम करता है, जिनके श्रम से बिहार को यह सम्मान मिला।

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