

क्या चिराग पासवान होंगे NDA के भविष्य?
2025 विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी, जानिए पूरी इनसाइड स्टोरी
📍 पटना | तिरहूत न्यूज़ स्पेशल रिपोर्ट
बिहार की राजनीति एक बार फिर करवट ले रही है। 2025 के विधानसभा चुनावों की तैयारियाँ ज़ोरों पर हैं और इस बार सभी की निगाहें एक उभरते हुए चेहरे पर टिकी हैं — चिराग पासवान। केंद्रीय मंत्री और लोजपा (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने अब बिहार की सियासत में सीधे उतरने की तैयारी कर ली है।
सामान्य सीट से चुनाव लड़ेंगे चिराग, देंगे नया राजनीतिक संदेश
सूत्रों की मानें तो चिराग पासवान 2025 में किसी आरक्षित नहीं बल्कि सामान्य सीट से विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि अभी तक इसकी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन पार्टी के अंदरूनी हलकों में इस रणनीति को लेकर चर्चा तेज है।
इस कदम के पीछे चिराग का मकसद साफ है — खुद को केवल दलित नेता की छवि से बाहर निकालकर “पूरे बिहार का नेता” साबित करना।
सोशल मीडिया पर मिला पार्टी से समर्थन
लोजपा (रा) के बिहार प्रभारी और जमुई सांसद अरुण भारती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर लिखा:
“जब नेता पूरे बिहार का है, तो सीट का दायरा क्यों सीमित हो?
कार्यकर्ताओं की भावना है कि चिराग पासवान जी इस बार किसी आरक्षित सीट से नहीं, बल्कि सामान्य सीट से चुनाव लड़ें — वे अब सिर्फ एक समुदाय की नहीं, पूरे बिहार की उम्मीद हैं।”
यह बयान संकेत देता है कि पार्टी ने अंदर ही अंदर चिराग के इस नए कदम को समर्थन देना शुरू कर दिया है।
क्यों विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं चिराग?
चिराग पासवान फिलहाल केंद्रीय राजनीति में मंत्री हैं, लेकिन बिहार की ज़मीन पर खुद को स्थापित करना उनकी दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, चिराग बिहार में “क्षेत्रीय नेता बनाम राष्ट्रीय नेता” की बहस को खत्म करते हुए खुद को एक मजबूत स्थानीय नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित करना चाहते हैं।
इस कदम से उनका लक्ष्य है:
• बिहार में लोजपा (रा) का जनाधार बढ़ाना
• भविष्य में मुख्यमंत्री पद की दावेदारी करना
• अपने चाचा पशुपति पारस को पूरी तरह राजनीतिक हाशिए पर डालना
क्या चिराग होंगे नीतीश के बाद NDA का चेहरा?
NDA गठबंधन में नीतीश कुमार अब भी प्रमुख चेहरा हैं, लेकिन बीजेपी और अन्य सहयोगी दलों को भविष्य के लिए एक युवा, तेजतर्रार और लोकप्रिय विकल्प की तलाश है।
चिराग पासवान को कुछ हलकों में नीतीश कुमार के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। NDA का अगला चेहरा बनने की इस दौड़ में चिराग एकमात्र ऐसा नाम हैं, जिनके पास युवाओं की पकड़, मोदी सरकार से नजदीकी और पासवान समुदाय का मजबूत समर्थन है।
तेजस्वी यादव के लिए बढ़ सकती है चुनौती
तेजस्वी यादव के सामने 2025 में चिराग एक नई चुनौती बनकर उभर सकते हैं।
जहां तेजस्वी यादव पिछड़े और मुस्लिम वोट बैंक के सहारे आगे बढ़ना चाहेंगे, वहीं चिराग दलित+युवा समीकरण के सहारे चुनावी जंग में उतर सकते हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो 2025 चिराग के लिए ट्रायल रन होगा, लेकिन उनकी असली नजर 2030 की मुख्यमंत्री पद की दौड़ पर टिकी है।
2024 में शानदार प्रदर्शन, अब नजर विधानसभा पर
2024 लोकसभा चुनाव में लोजपा (रा) ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 100% स्ट्राइक रेट हासिल किया — यानी सभी 5 सीटें जीत लीं।
अब चिराग इस प्रदर्शन को विधानसभा में दोहराकर पार्टी को बूथ स्तर पर मजबूत करने की योजना बना रहे हैं। इसके लिए वे न सिर्फ पासवान समुदाय को बल्कि पूरे दलित वोट बैंक को एकजुट करना चाहते हैं।
चाचा-पुत nephew संघर्ष: राजनीतिक विरासत की जंग
पिछले कुछ वर्षों से चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के बीच लोजपा की विरासत को लेकर संघर्ष चल रहा है।
2024 में बीजेपी ने चिराग को खुला समर्थन देकर पारस को किनारे कर दिया। अब 2025 विधानसभा चुनाव में चिराग की एंट्री उनके चाचा की राजनीतिक पारी को खत्म करने की अंतिम कोशिश मानी जा रही है।
निष्कर्ष: NDA का भविष्य चिराग के कंधों पर?
बिहार की राजनीति एक दिलचस्प मोड़ पर है। चिराग पासवान का विधानसभा चुनाव लड़ना सिर्फ एक नेता का निर्णय नहीं, बल्कि पूरे NDA की भविष्य रणनीति से जुड़ा सवाल बन चुका है।
क्या चिराग NDA में नीतीश के उत्तराधिकारी बन सकते हैं?
क्या वे तेजस्वी यादव की चुनौती को काट पाएंगे?
2025 में जवाब मिलना शुरू होगा, लेकिन चिराग की नजरें अब 2030 की सत्ता पर हैं — और शुरुआत होगी इस चुनाव से।
📌 स्पेशल रिपोर्ट: धीरज ठाकुर | तिरहूत न्यूज़