

संपादकीय: सिवान से संकल्प — बिहार को विकास का इंजन बनाने की पुकार
20 जून 2025 | तिरहूत न्यूज़ संपादकीय डेस्क
सिवान की धरती आज फिर इतिहास की साक्षी बनी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हज़ारों करोड़ की विकास योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास कर बिहार के भविष्य को एक नई दिशा देने का आह्वान किया। उनका भाषण केवल घोषणाओं की सूची नहीं था, बल्कि एक व्यापक विज़न था — बिहार को भारत के विकास इंजन में तब्दील करने का।
लोकतांत्रिक परंपरा की भूमि पर विकास का मंत्र
पीएम मोदी ने बाबा महेंद्रनाथ, डॉ. राजेंद्र प्रसाद और लोकनायक जयप्रकाश नारायण को याद करते हुए बताया कि सिवान जैसी धरती से देश को चेतना, संविधान और स्वाभिमान मिला है। इसी गौरव को अब विकास की गति से जोड़ने की जरूरत है — और यही एनडीए सरकार कर रही है।
जंगलराज से विकासराज तक का सफर
प्रधानमंत्री ने बीते दो दशकों के बदलाव की तुलना करते हुए कहा कि एक समय था जब बिहार ‘जंगलराज’ का पर्याय बन गया था। लेकिन आज, वही बिहार इंजन बना रहा है जो अफ्रीका तक दौड़ेगा। मढ़ौरा की रेल फैक्ट्री से पहली बार इंजन का एक्सपोर्ट एक प्रतीक है — एक बदले हुए, आत्मनिर्भर बिहार का।
गरीबी हटाने का वादा नहीं, कार्यों का प्रमाण
पीएम मोदी ने कांग्रेस और आरजेडी की गरीबी हटाओ की राजनीति पर तीखा प्रहार करते हुए बताया कि बीते 10 वर्षों में 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं, जिनमें से सिर्फ बिहार से पौने चार करोड़। यह केवल आंकड़ा नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन की गूंज है।
महिलाओं का सशक्तिकरण: घर की चाबी से सम्मान तक
मोदी ने जब यह बताया कि बिहार में 57 लाख घर बन चुके हैं और इनका मालिकाना हक़ महिलाओं के नाम पर है, तब वह सिर्फ योजना नहीं, एक सामाजिक क्रांति की बात कर रहे थे। यह वही वर्ग है जिसे दशकों तक सत्ता ने नजरअंदाज किया।
वंदे भारत से विकास यात्रा
सिवान से गोरखपुर तक नई वंदे भारत ट्रेन की शुरुआत न सिर्फ पूर्वांचल के धार्मिक, सांस्कृतिक और व्यापारिक जुड़ाव का प्रतीक है, बल्कि यह बिहार के इंफ्रास्ट्रक्चर में हो रहे मौलिक बदलाव की झलक भी है।
राजनीतिक संदेश: ‘परिवारवाद’ बनाम ‘संविधानवाद’
भाषण में एक और बड़ा संदेश था—‘सबका साथ, सबका विकास’ बनाम ‘परिवार का साथ, परिवार का विकास’। पीएम ने दलितों, पिछड़ों और महादलितों के नाम पर राजनीति करने वालों को आड़े हाथों लिया और उन्हें बाबा साहेब अंबेडकर का अपमान करने वाला बताया।
संपादकीय निष्कर्ष
प्रधानमंत्री मोदी का भाषण केवल एक राजनीतिक संबोधन नहीं था, बल्कि यह बिहार को आत्मनिर्भरता, औद्योगिकता और सामाजिक न्याय की राह पर ले जाने का दृढ़ संकल्प था। बिहार को अब आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता — बशर्ते जनता सजग और सतर्क रहे।
विकास अब नारा नहीं, जमीनी सचाई बन चुका है। अब यह बिहार की जनता के हाथ में है कि वह इस रफ्तार को थामे रखे या फिर अतीत के अंधकार में लौट जाए।