
📰 स्पेशल रिपोर्ट
चिराग बनाम मांझी: सीट शेयरिंग की रार से NDA में उथल-पुथल, विपक्ष ले रहा मजे
✍️ लेखक: तिरहूत न्यूज़ डेस्क
📅 प्रकाशन तिथि: 3 जुलाई 2025
📍 गया। बिहार में चुनावी शंखनाद के पहले ही एनडीए के भीतर तूफान उठने लगा है। खासकर लोजपा (रामविलास) के नेता चिराग पासवान और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के संरक्षक जीतन राम मांझी के बीच जुबानी जंग से सियासत गरमा गई है। दोनों नेताओं की ओर से हो रही तल्ख बयानबाजी से जहां NDA में बेचैनी है, वहीं इंडिया गठबंधन इस घमासान को तमाशे की तरह देख रहा है।
🔸 कैसे शुरू हुई तकरार?
बात तब शुरू हुई जब चिराग पासवान ने बयान दिया — “बिहार मुझे बुला रहा है”, जिससे अटकलें तेज हो गईं कि वे खुद विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। यहां तक कहा गया कि शाहाबाद क्षेत्र से उन्हें टिकट मिल सकता है।
इस पर जीतन राम मांझी ने व्यंग्य किया — “वह चाहें तो नगर निगम का चुनाव भी लड़ सकते हैं, किसने रोका है!” साथ ही चिराग को “अनुभवहीन” भी कह डाला।
🔸 जमुई से चला पलटवार का तीर
जवाब में चिराग के बहनोई और सांसद अरुण भारती ने मांझी पर 2015 की फ्लोर टेस्ट से पहले इस्तीफा देने की याद दिला दी। तंज था — “चिराग को वैसा अनुभव नहीं है।”
🔸 मुद्दा असल में क्या है?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह सिर्फ शब्दों की जंग नहीं, बल्कि विधानसभा चुनावों से पहले सीट शेयरिंग को लेकर दबाव की राजनीति है।
दोनों नेता — दलित राजनीति के बड़े चेहरे — ज्यादा सीटें पाना चाहते हैं। साथ ही सीएम पद को लेकर भी अप्रत्यक्ष रस्साकशी चल रही है।
🔸 क्या नीतीश के बाद चिराग?
अगर नीतीश कुमार कमजोर होते हैं या स्वास्थ्य कारणों से पीछे हटते हैं, तो NDA में सीएम के चेहरे को लेकर संभावनाएं तेज होंगी।
चिराग पहले भी “बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट” के नारे से सीएम पद की इच्छा जता चुके हैं। दूसरी ओर मांझी के बेटे संतोष सुमन भी मंत्री हैं और मांझी उन्हें भी योग्य बताते हैं।
🔸 चिराग और मांझी की पुरानी अदावत
- 2018: रामविलास पासवान के महागठबंधन में शामिल होने की चर्चा पर मांझी ने किया था खुला विरोध
- 2020: लोजपा टूटने के बाद मांझी ने पशुपति पारस का साथ दिया
- 2024: मांझी ने पारस को ही रामविलास का सच्चा उत्तराधिकारी कहा
🔸 2020 का प्रदर्शन
- हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा: 7 सीटों पर चुनाव, 4 सीटें जीतीं
- लोजपा (रामविलास): 137 सीटों पर चुनाव लड़ा, कोई सीट नहीं जीती, लेकिन जेडीयू को भारी नुकसान पहुंचाया
✅ निष्कर्ष:
चिराग और मांझी के बीच जुबानी जंग ने यह साफ कर दिया है कि NDA के भीतर सत्ता और हिस्सेदारी को लेकर संघर्ष जारी है।
अगर गठबंधन नेतृत्व जल्द कोई संतुलन नहीं बनाता, तो यह मतभेद चुनावों में भारी पड़ सकते हैं।