

उद्योगपति गोपाल खेमका की पटना में गोली मारकर हत्या, उद्योग जगत में आक्रोश, सांसद पप्पू यादव ने सरकार को घेरा
📍 रिपोर्ट: धीरज ठाकुर | स्थान: पटना | प्रकाशित: 5 जुलाई, 2025
राजधानी पटना में शुक्रवार की रात उस वक्त सनसनी फैल गई जब गांधी मैदान थाना क्षेत्र स्थित रामगुलाम चौक पर बिहार के प्रख्यात उद्योगपति गोपाल खेमका की गोली मारकर हत्या कर दी गई। अपराधियों ने होटल पनाश के पास उन्हें सिर में गोली मारी। खेमका को आनन-फानन में मेडिवर्सल अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
कैसे घटी घटना?
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार गोपाल खेमका बांकीपुर क्लब से अपने घर लौट रहे थे। रामगुलाम चौक के पास पहले से घात लगाए अपराधियों ने कटारका निवास के सामने उनकी कार रोककर सिर में सटाकर गोली मारी और फरार हो गए। इस पूरी घटना के दौरान पुलिस मौके से महज 300 मीटर की दूरी पर थी, फिर भी घटनास्थल पर पहुंचने में करीब डेढ़ घंटे का समय लग गया।
गोपाल खेमका कौन थे?
गोपाल खेमका बिहार के नामचीन उद्योगपतियों में शुमार थे। एमबीबीएस तक की पढ़ाई कर चुके खेमका का कारोबार पेट्रोल पंप, फैक्ट्री और अस्पताल तक फैला हुआ था। वे बांकीपुर क्लब के सचिव रह चुके थे और वर्तमान में इसके सक्रिय सदस्य भी थे।
परिजनों का आरोप: पुलिस की लापरवाही से गई जान
मृतक के छोटे भाई शंकर खेमका ने पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि घटना स्थल के इतने पास थाना होने के बावजूद पुलिस की लेटलतीफी ने अपराधियों को भागने का मौका दे दिया। उन्होंने पुलिस की कार्यशैली पर तीखा सवाल उठाया।
पप्पू यादव ने नीतीश सरकार को घेरा
घटना की जानकारी मिलते ही पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव मेडिवर्सल अस्पताल पहुंचे। उन्होंने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा,
“नीतीश जी, बिहार को बख्श दीजिए। महागुंडाराज में कोई सुरक्षित नहीं है। बिहार अब अपराधियों का अभयारण्य बन गया है।“
उनका यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
पहले बेटे की भी हो चुकी है हत्या
यह मामला इसलिए भी चौंकाने वाला है क्योंकि वर्ष 2018 में गोपाल खेमका के बेटे गुंजन खेमका की भी हत्या कर दी गई थी। उस मामले में मस्तु सिंह नामक अपराधी की गिरफ्तारी हुई थी। जेल से रिहा होने के बाद मस्तु सिंह की भी हत्या कर दी गई थी। अब उद्योगपति गोपाल खेमका की हत्या ने इस पूरे मामले को और भी रहस्यमय बना दिया है।
निष्कर्ष:
पटना जैसे हाई-प्रोफाइल इलाके में इस तरह की हत्या ने न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि बिहार के उद्योग जगत में भी डर का माहौल बना दिया है। सवाल उठता है कि जब शहर के बीचोंबीच कोई सुरक्षित नहीं है, तो आम जनता की सुरक्षा का क्या भरोसा?