
छपरा। भोजपुरी साहित्य और रंगमंच के शेक्सपियर कहे जाने वाले लोक कवि भिखारी ठाकुर की 54वीं पुण्यतिथि आज श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाई गई। इस अवसर पर छपरा शहर के प्रवेश द्वार स्थित भिखारी ठाकुर चौक पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी गई।
सारण के जिलाधिकारी अमन समीर, सदर अनुमंडल पदाधिकारी समेत अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने कार्यक्रम में भाग लेते हुए उन्हें श्रद्धा-सुमन अर्पित किए। शहर के बुद्धिजीवी वर्ग और आम लोगों ने भी भिखारी ठाकुर को याद किया।
भिखारी ठाकुर के पैतृक गांव कुतुबपुर में भी एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन हुआ, जहां स्थानीय लोगों और जिला प्रशासन के प्रतिनिधियों ने उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।
गौरतलब है कि भिखारी ठाकुर का निधन 10 जुलाई 1971 को हुआ था। उन्होंने ‘बेटी बेचवा’, ‘गबर घिचोर’ जैसे प्रसिद्ध नाटक लिखे, जिनमें समाज की कुरीतियों और विडंबनाओं को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया।
भिखारी ठाकुर ने उन विषयों पर रचना की, जिन पर आज भी चर्चा होती है — बाल विवाह, दहेज, प्रवासी मजदूर, स्त्री अधिकार आदि। उनकी रचनाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं।
परिवार ने जताया आक्रोश
भिखारी ठाकुर के परिजनों ने इस अवसर पर गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि “सरकार ने उनके एक शिष्य को पद्म श्री दे दिया, लेकिन खुद भिखारी ठाकुर आज भी सरकारी उपेक्षा के शिकार हैं।” परिजनों का कहना है कि उन्हें भारत रत्न या पद्म विभूषण जैसा राष्ट्रीय सम्मान मिलना चाहिए, ताकि देश में भोजपुरी भाषा और संस्कृति का गौरव बढ़े।