
5 महीने बाद भी नहीं मिला न्याय: जदयू जिला उपाध्यक्ष ने SSP से लगाई गुहार, कहा— अब मुख्यमंत्री नीतीश से उम्मीद है
मुजफ्फरपुर। सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (JDU) के जिला उपाध्यक्ष रमेश कुमार ओझा ने अपने ही सरकार के सिस्टम पर सवाल खड़ा करते हुए जिले के वरीय पुलिस अधीक्षक (SSP) से न्याय की गुहार लगाई है।
उन्होंने कहा है कि उनके ऊपर पांच महीने पहले हुआ जानलेवा हमला अब तक न्याय की प्रतीक्षा कर रहा है और एक भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। मजबूरी में अब उन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से न्याय की उम्मीद लगानी पड़ी है।
क्या है मामला?
• विवाद खेसरा संख्या-269/2012 की जमीन को लेकर है, जिसे लेकर वर्ष 2012 से विवाद चल रहा है।
• 21 मार्च 2025 की रात, नकाबपोश अपराधियों ने रमेश ओझा के घर में घुसकर हमला किया, लूटपाट की और महिलाओं से दुर्व्यवहार किया।
• अपराधियों ने जान से मारने की धमकी दी और पूरे परिवार को आतंकित कर दिया।
मामला दर्ज, फिर भी कार्रवाई नहीं
• इस हमले को लेकर सरैयागंज थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी (केस संख्या-133/2025)।
• लेकिन 5 महीने बाद भी किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई।
• ओझा का आरोप है कि आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं और दोबारा हमला करने की धमकी भी दे चुके हैं।
“मैं सत्ता पक्ष में हूं, फिर भी मेरी नहीं सुनवाई” — रमेश ओझा
जदयू नेता ने तिरहूत न्यूज़ से कहा—
“मैं खुद सत्ता पक्ष का ज़िला उपाध्यक्ष हूं। अगर मेरी बात नहीं सुनी जा रही है, तो आम जनता किससे उम्मीद करे? अब मैंने SSP से भी मुलाकात की है और अंतिम उम्मीद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से है।”
पहले भी दर्ज हो चुकी है मारपीट की FIR
• ओझा के अनुसार, वर्ष 2012 में इसी जमीन विवाद को लेकर पहले भी मारपीट की एफआईआर दर्ज हुई थी।
• लेकिन 12 वर्षों में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।
• अब उसी विवाद में दोबारा हमला हुआ और फिर भी पुलिस शांत बैठी है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सीधी अपील
“मुख्यमंत्री जी कानून के राज की बात करते हैं। लेकिन मेरी फाइल और शिकायत पर कार्रवाई नहीं हो रही। मैं उनसे हाथ जोड़कर अपील करता हूं कि मुझे और मेरे परिवार को न्याय दिलाया जाए।”
जदयू जिला उपाध्यक्ष रमेश कुमार ओझा द्वारा SSP को सौंपा गया शिकायत पत्र, जिसमें पांच महीने से कार्रवाई नहीं होने पर नाराजगी जताई गई है।
📌 तिरहूत न्यूज़ का विश्लेषण:
जब एक सत्तारूढ़ पार्टी का ज़िला स्तरीय नेता भी अपनी जान और जमीन की रक्षा के लिए प्रशासनिक चक्कर काटने को मजबूर हो, तो यह प्रशासन की निष्क्रियता और कानूनी लाचारी की गंभीर तस्वीर पेश करता है। यह घटना केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि तंत्र पर जनता के भरोसे की भी परीक्षा है।
📍 रिपोर्ट: तिरहूत न्यूज़ ब्यूरो