
बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने नालंदा विश्वविद्यालय में आयोजित नालंदा ज्ञान कुंभ के उद्घाटन समारोह में कहा कि नालंदा ज्ञान परंपरा की भूमि रही है और यहां आए हुए प्रतिनिधि, शोधार्थी, शिक्षाविद ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने आगे कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा सभी विषयों को स्पर्श करती है और हमें 2047 में विकसित भारत के निर्माण में सहयोग करना होगा ¹।
उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान समय स्व के जागरण का समय है, जिसमें स्व भाषा, स्व संस्कृति, स्व परंपरा को जागृत कर भारत को विकसित बनाया जा सकता है। उन्होंने अपनी मातृभाषा को प्रयोग करने पर बल दिया और कहा कि हमें अंग्रेजी को नहीं बल्कि स्व भाषा को शिक्षा के रूप में लाने की जरूरत है।
कार्यक्रम में कई अन्य अतिथियों ने भी भारतीय ज्ञान परंपरा पर अपने विचार साझा किए। पूर्व राज्यपाल सिक्किम गंगा प्रसाद ने कहा कि भारत कई सौ वर्षों से गुलाम रहा और इसकी संस्कृति भाषा पर हमले किए गए, लेकिन अब 2047 में भारत विकसित और आत्म निर्भर बने इसके लिए हम सभी को कार्य करना पड़ेगा।

नालंदा ज्ञान कुंभ
नालंदा ज्ञान कुंभ एक महत्वपूर्ण आयोजन था जिसका उद्देश्य भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा को पुनर्जीवित करना और विकसित भारत के निर्माण में इसका योगदान दिखाना था। इस आयोजन में भारत के विभिन्न हिस्सों से शिक्षाविद, शोधकर्ता और नीति निर्माता शामिल हुए।

कुछ प्रमुख बिंदु:
भारतीय ज्ञान परंपरा: इस आयोजन में भारत की प्राचीन शिक्षा पद्धति और ज्ञान के महत्व पर जोर दिया गया।
नालंदा विश्वविद्यालय: नालंदा विश्वविद्यालय को एक ऐतिहासिक शिक्षा केंद्र के रूप में याद किया गया और इसके पुनरुद्धार के प्रयासों पर चर्चा की गई।
शिक्षा में सुधार: भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने और इसे भारतीय मूल्यों के अनुरूप बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
आत्मनिर्भर भारत: भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भारतीय उत्पादों और भाषाओं को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
मुख्य वक्ताओं ने क्या कहा:
राज्यपाल: उन्होंने आत्म-जागरण, भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने और 2047 तक विकसित भारत के निर्माण के लक्ष्य पर जोर दिया।
पूर्व राज्यपाल: उन्होंने औपनिवेशिक विरासत को दूर करने और आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव: उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने और शिक्षा में अंग्रेजी के स्थान पर भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया।
* उप मुख्यमंत्री: उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय के महत्व और शिक्षा में स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयासों पर चर्चा की।
नालंदा ज्ञान कुंभ का उद्देश्य भारतीय संस्कृति और विरासत को संरक्षित करना, शिक्षा प्रणाली में सुधार लाना और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करना था। यह आयोजन भारतीय ज्ञान परंपरा की प्रासंगिकता को उजागर करने में सफल रहा।
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