
Muzaffarpur News/ तिरहुत न्यूज डेस्क: भारत की संघीय व्यवस्था देश की विविधता को समायोजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह व्यवस्था 1949 में अपनाई गई थी, जिसमें संसदीय संघात्मक व्यवस्था को अपनाया गया था। भारतीय संविधान इस व्यवस्था को नियंत्रित करता है और देश की एकता की सुरक्षा और उसे बढ़ावा देने के साथ-साथ क्षेत्रीय विविधताओं का पूरा सम्मान करता है

भारतीय संघीय व्यवस्था की एक खास विशेषता यह है कि यह विविधता में एकता के संदेश को बढ़ावा देती है। संघीय व्यवस्था के जरिए सत्ता का विकेंद्रीकरण होता है, जिससे सांस्कृतिक, भाषाओं और क्षेत्रीय विविधता के बावजूद एकता और अखंडता को बल मिलता है।
मुख्य बिंदु:
भारतीय संघवाद और विविधता: प्रो. रजनी रंजन झा ने जोर दिया कि भारत की संघीय संरचना देश की विविध संस्कृतियों, भाषाओं और क्षेत्रों की विविधता को प्रभावी ढंग से समायोजित करती है।
सत्ता का विकेंद्रीकरण: संघवाद सत्ता के विकेंद्रीकरण को बढ़ावा देता है, जिससे विविधता के बीच एकता को मजबूती मिलती है।
संघवाद का विकास: संघवाद की प्रकृति और गतिशीलता विकसित हुई है, विशेषकर गठबंधन सरकारों के उदय और पंचायतों और नगर पालिकाओं जैसी स्थानीय संस्थाओं की बढ़ती भूमिका के साथ।
संघीय संस्थानों को मजबूत बनाना: केंद्र-राज्य संबंधों को सुचारू बनाने के लिए अंतर-राज्य परिषद, वित्त आयोग और नीति आयोग जैसे संस्थानों को मजबूत बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
रामदयालु सिंह स्मृति व्याख्यान श्रृंखला: सेमिनार राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित व्याख्यान श्रृंखला का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य अकादमिक चर्चा और छात्रों की भागीदारी के लिए एक मंच प्रदान करना था।
भारत की संघीय व्यवस्था: विविधता में एकता
प्रो. रजनी रंजन झा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत की संघीय संरचना देश की विविध संस्कृतियों और क्षेत्रों के बीच एकता बनाए रखने में महत्वपूर्ण कारक है। यह व्यवस्था सत्ता का विकेंद्रीकरण करती है और समय के साथ गठबंधन सरकारों और स्थानीय निकायों के उदय के साथ विकसित हुई है। केंद्र-राज्य संबंधों को सुचारू बनाने वाले संस्थानों को मजबूत बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
