
Muzaffarpur: बिहार की खत्म होती सुजनी कला को ग्लोबल पहचान दिलाने वाली निर्मला देवी को पद्म श्री सम्मान से नवाजा गया है। आज भूसरा गांव राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छाया हुआ है तो हर तरफ खुशी

देश में हर साल 26 जनवरी पर कई वरिष्ठ हस्तियों को देश के सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है. इस बार भी इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाले नामों की घोषणा कर दी गई है. जिन नामों की घोषणा की गई है, उनमें बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के एक महिला निर्मला देवी हैं.
निर्मला देवी को पारंपरिक कढ़ाई के लिए यह सम्मान
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की निर्मला देवी को पारंपरिक कढ़ाई के लिए यह सम्मान दिया जाएगा. 1988 में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के भुसारा गांव की महिलाओं के एक समूह के साथ सुजनी कढ़ाई को पुनर्जीवित करना शुरू किया गया था. यह गैर-लाभकारी संस्था ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें आजीविका का स्रोत प्रदान करने के लिए उनके साथ काम करती है. भुसारा गांव से जुड़ने वाली पहली महिलाओं में से एक निर्मला देवी हैं.

निर्मला देवी कहती हैं कि 39 साल से सुजनी कला से जुड़ी हूं। जिस रास्ते पर चलने में लोगों के तानों से लेकर समाज के व्यंग्य वाण भी झेलने पड़े, आज शायद इस सम्मान के रूप में मंजिल न सही मगर पड़ाव तो मिल ही गया है। इस सम्मान को मिलने की खबर के बाद से पूरे भूसरा गांव में खुशी का माहौल है।

शादी के 12 साल बाद ही निर्मला देवी मायके लौट आई थीं। गोद में एक बेटी और चेहरे पर लंबी यातना का दर्द। गांव वालों के पास सवालों की बौछार थी, मगर घरवालों ने अपनापन से थाम लिया। आज इसी बेटी के कारण भूसरा गांव राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छाया हुआ है तो हर तरफ खुशी की बहार है। गांव वालों की जुबान पर एक ही बात कि हमारी बेटी ने हम सबको गर्व से भर दिया है।

निर्मला देवी बताती हैं कि साल 1960 में शादी हुई और 1972 में ससुराल छोड़ दिया। पति नशा करते थे और मारपीट भी। उस समय से यहीं रह रही हूं। 2010 में जब पति कालिका प्रसाद सिंह बीमार हुए तो उन्हें अपने पास लाई और बेटी के घर पर ही पति की 2011 में मौत हुई। निर्मला देवी बताती हैं कि एक बेटी है, जिसकी शादी दरभंगा में हुई है। दामाद शिक्षक हैं। दो नाती और एक नातिन है। निर्मला के भाई की मौत हो चुकी है। भाभी और दो भतीजे हैं।
15 गांवों की 1000 महिलाओं को प्रशिक्षित कर आत्मर्निभर बनाया
मुजफ्फरपुर स्थित भूसरा महिला विकास समिति की संस्थापक और अध्यक्ष के रूप में निर्मला देवी ने 15 से अधिक गांवों की 1000 से अधिक महिलाओं को सुजनी कढ़ाई में प्रशिक्षित किया, जिससे उन्हें आजीविका मिल सके।

सुजनी कढ़ाई को बढ़ावा देने के लिए 4 दशक का संघर्ष
भुसरा की रहने वाली निर्मला देवी वर्षों से सुजनी कढ़ाई को पुनर्जीवित करने के प्रयास में जुट गई हैं। निर्मला देवी ने 1988 में गांव की दो अन्य महिलाओं के साथ प्रशिक्षण लिया। बाद में धीरे-धीरे, थोड़े पैसे आने लगा। जिसके बाद इस कढ़ाई को पहचान मिल गई। जब इस कला को गांव के बाहर के लोगों ने देखा और इसकी सराहना की, तो तेजी से इसका प्रचार-प्रसार शुरू हुआ और जीआई टैग भी मिल गया।
सुजनी कढ़ाई की बांड एंबेसडर बनीं निर्मला देवी
76 वर्षीय निर्मला देवी ने सुजनी कढ़ाई को पिछले चार दशकों में पुनर्जीवित किया। उन्होंने न केवल सुजनी कलाकृति को जीवित रखा, बल्कि इसे देशभर के शहरी बाजारों में भी लोकप्रिय बनाया है और विस्तर पर सुजनी कला की वैश्विक राजदूत बन गई हैं। उनकी कलाकृति संग्रहालयों के साथ-साथ कई देशों में प्रदर्शित की जाती है।

पद्म श्री की घोषणा के बाद गांव से लेकर जिले में खुशी की लहर दौड़ गई है.हर कोई निर्मला देवी से मिलने पहुंचे रहे हैं, मानो यहाँ के ग्रामीणों के लिए आज के दिन दो- दो खुशी मिली है। गांव से लेकर इलाके में चारों तरफ निर्मला देवी की ही चर्चा हो रही है

बिहार के मुजफ्फरपुर की सुजनी कढ़ाई को जीआई टैग भी मिला है. परंपरागत रूप से, महिलाएं नवजात शिशुओं को लपेटने के लिए साधारण कपड़े के छोटे-छोटे टुकड़ों पर कढ़ाई करके कपड़ा बनाती थीं, लेकिन अब यह कढ़ाई कला जिले की 600 महिलाओं के लिए आजीविका और आत्मनिर्भरता का स्रोत है. निर्मला देवी को इस कढ़ाई के लिए कई अवार्ड मिल चुके हैं. कई जगहों पर इनकी कढ़ाई की प्रदशनी भी लगी है, जो देश भर में फेमस है