गांधी शांति प्रतिष्ठान, मुजफ्फरपुर में गांधी स्मृति व्याख्यान का आयोजन

Tirhut News

Muzaffarpur News/तिरहूत न्यूज डेस्क: गांधी शांति प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित वार्षिक गांधी स्मृति व्याख्यान में प्रो संजीव कुमार मिश्रा ने ‘सामाजिक सुगठता में दलित : गांधी की दृष्टि ‘ विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि गांधी का मानना था कि जब तक समाज के अंतिम व्यक्ति को न्याय नहीं मिलेगा तब तक भारत मजबूत नहीं बन सकता। इसीलिए जिंदगी के हर पड़ाव पर गांधी ने दलितों की बात अपनी शक्ति भर उठाई। दलितों के लिए मंदिरों के दरवाजे खुलवाने के लिए तो गांधी ने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था।

प्रो मिश्रा ने कहा कि दलितों को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए गांधी ने डॉ अंबेडकर के साथ पूना पैक्ट किया जो आगे चलकर मील का पत्थर साबित हुआ। पूना पैक्ट के बाद डॉ अंबेडकर ने खुद कहा था कि यदि वह पैक्ट नहीं होता तो देश में एक जटिल समस्या पैदा हो जाती। डॉ अंबेडकर ने जब धर्म बदलने की बात कही तो गांधी ने उनसे बार-बार आग्रह किया कि आप धर्म मत बदलिए, यह सही है कि इसमें अनेक कुरीतियां हैं लेकिन उन्हें मिलकर ही दूर किया जा सकता है। गांधी और अंबेडकर आखिरी दिनों में एक दूसरे को बहुत समझने लगे थे। इसीलिए गांधी ने जब उन्हें कानून मंत्री बनाए जाने का विचार रखा तो अंबेडकर ने उसे सहर्ष स्वीकार कर लिया। यदि उन्होंने उसे नहीं स्वीकारा होता तो फिर बात दूसरी दिशा में चली जाती और दलितों को वह सब नहीं मिल पाता जिसके वे हकदार थे।

लंगट सिंह कॉलेज के बीबीए हॉल में आयोजित इस व्याख्यान का विषय प्रवेश कराते हुए गांधी शांति प्रतिष्ठान के डॉ कृष्ण मोहन ने कहा कि मानव विज्ञान के दृष्टिकोण से मनुष्यों के बीच कोई विभेद नहीं होता है, लेकिन व्यवहार में विभेद है। गांधी इस मामले में आरंभ से ही स्पष्ट थे और इसीलिए उन्होंने सामाजिक सुगठता के लिए अपना जीवन लगा दिया।

व्याख्यान में बतौर मुख्य अतिथि लंगट सिंह कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रो ओमप्रकाश राय ने कहा कि गांधी के रास्ते पर चल कर कमजोर आदमी भी गरिमा के साथ जी सकता है। आज देश-दुनिया में जो संकट है उसे गांधी-विचार ही दूर कर सकता है।
व्याख्यान की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ सर्वोदयी चिंतक और गांधी शांति प्रतिष्ठान के संरक्षक लक्षणदेव प्रसाद सिंह ने कहा कि गांधी ने जीवनपर्यंत एक हाथ में राजनीति और दूसरे हाथ में रचना का झण्डा थामे रखा। गांधी के बाद राजनीति ने रचना को भुला दिया और रचना ने अपने को राजनीति से अलग कर लिया।
आरंभ में प्रतिष्ठान की ओर से अनिल शंकर ठाकुर ने स्वागत वक्तव्य दिया। व्याख्यान का संचालन प्रतिष्ठान के सचिव अरविंद वरुण ने और धन्यवाद ज्ञापन अध्यक्ष डॉ अरुण कुमार सिंह ने किया।

गांधी उद्यान में सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन
व्याख्यान से ठीक पहले  गांधी शांति प्रतिष्ठान के तत्वावधान में गांधी उद्यान में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण और सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। इस मौके पर शहर के बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और गांधीजनों ने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी।

सर्वधर्म प्रार्थना की अगुवाई गांधी शांति प्रतिष्ठान के संयुक्त सचिव प्रभात कुमार और रामबाबू भक्ता ने की।
प्रार्थना के बाद पूर्व कुलपति प्रो प्रसून कुमार राय  के नेतृत्व में गांधीजनों ने सामूहिक संकल्प लिया कि संविधान प्रदत्त नागरिक स्वतन्त्रता का सड़क से संसद तक हो रहे संकुचन को रोकने, सामाजिक और साम्प्रदायिक सद्भाव में हो रहे निरंतर ह्रास का हल ढूंढ़ने एवं कृषि, रोजगार, शिक्षा तथा स्वास्थ्य से जुड़े सवालों के लिए गांधी के बताए रास्ते से लोक चेतना जागृत करने का हमारा प्रयास जारी रहेगा। हम हर हालत में आपसी सद्भाव बनाए रखेंगे और गांधी के रास्ते एक बेहतर दुनिया बनाने के लिए संकल्पित रहेंगे।

प्रार्थना सभा और स्मृति व्याख्यान में सिंडिकेट सदस्य डॉ हरेंद्र कुमार, वरिष्ठ गांधीवादी रमण कुमार, प्रो केके झा, मधुमंगल ठाकुर, डॉ हरिकिशोर प्रसाद सिंह, डॉ श्याम कल्याण, प्रो राजीव कुमार झा, प्रो एनएन मिश्रा, प्रो प्रमोद कुमार, अच्युतानंद किशोर ‘नवीन’, जगत नारायण राय, प्रो जयकांत सिंह ‘जय’, सुरेश कुमार गुप्ता, उदयशंकर शाही, प्रो अनिल कुमार ओझा, डॉ आलोक कुमार, अनिल कुमार सिंह, डॉ रमेश विश्वकर्मा, सचिन गौतम, मुकेश कुमार, प्रो पुष्पा कुमारी, डॉ साज़िदा अंजुम, डॉ शशि, डॉ तथागत बनर्जी, विवेक सिंह, नरेंद्र भारती, डॉ त्रिपदा भारती, प्रो विजय कुमार, डॉ अर्चना ठाकुर, डॉ अजय कुमार, डॉ शिवेंद्र कुमार मौर्य, प्रो टीके डे, डॉ राधा कुमारी, डॉ साकेत कुमार, डॉ रामबाबू प्रसाद, डॉ प्रदीप कुमार, अजीत कुमार चौधरी, सोनू सरकार, विक्रम जयनारायण निषाद सहित दर्जनों लोग शामिल थे।

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