होलिका दहन 13 मार्च को, रंगोत्सव 15 मार्च को मनाया जाएगा

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होलिका दहन 13 मार्च को, रंगोत्सव 15 मार्च को मनाया जाएगा

भद्रा समाप्ति के बाद होगा होलिका दहन, 15 मार्च को खेली जाएगी रंगों की होली

पटना, संवाददाता

इस वर्ष होलिका दहन 13 मार्च को रात्रि में किया जाएगा। पंचांगों के अनुसार, भद्रा रात्रि 10:37 बजे समाप्त होगी, जिसके बाद होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रहेगा। विद्वानों का कहना है कि भद्रा काल में होलिका दहन वर्जित होता है, क्योंकि इससे अशुभ प्रभाव पड़ सकता है।

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त:

• पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 13 मार्च, प्रातः 10:11 बजे

• भद्रा समाप्ति: 13 मार्च, रात्रि 10:37 बजे

• होलिका दहन का समय: 13 मार्च, रात्रि 10:37 बजे के बाद

14 मार्च को पूर्णिमा स्नान-दान, 15 मार्च को रंगोत्सव

मिथिला और काशी पंचांगों के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा 14 मार्च को दोपहर 11:22 बजे तक रहेगी। इस दिन स्नान, दान, हवन और देवी-देवताओं की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

रंगों की होली 15 मार्च को मनाई जाएगी

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, होली का पर्व उदया तिथि में मनाने की परंपरा है। इस कारण 15 मार्च, शनिवार को चैत्र कृष्ण प्रतिपदा के दिन रंगों की होली और धूलिवंदन का आयोजन होगा।

शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन के तीन प्रमुख नियम:

• पूर्णिमा तिथि होनी चाहिए।

• भद्रा मुक्त समय में दहन करना चाहिए।

• रात्रि के समय दहन करना श्रेष्ठ माना जाता है।

होली: प्रेम, उमंग और भाईचारे का पर्व

होली का त्योहार सौहार्द, उल्लास और आपसी प्रेम का प्रतीक है। इस दिन गिले-शिकवे भुलाकर लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं। इस बार 13 मार्च को होलिका दहन और 15 मार्च को रंगोत्सव पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा।
मुजफ्फरपुर, गरीबनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी पं. विनय पाठक ने कहा कि फाल्गुन पूर्णिमा गुरुवार को होगा. इसी दिन सुबह 10.02 से पूर्णिमा तिथि लग जायेगी. भद्रा रात्रि 10.37 बजे समाप्त होगी. भद्रा की समाप्ति के बाद रात्रि 10.37 बजे के बाद होलिका दहन किया जायेगा, काशी में रंग की होली 14 मार्च को मनायी जायेगी. शास्त्रीय प्रमाण व परंपरा के अनुसार उदया तिथि चैत कृष्ण प्रतिपदा को रंग की होली और धूली वंदन मनाया जाता है. इसलिए 15 मार्च को रंग की होली मनायी जायेगी.
होलिका दहन को लेकर शास्त्रों में तीन नियम बतलाये गये हैं. पहला पूर्णिमा तिथि, दूसरा भद्रा मुक्त काल व तीसरा रात्रि का समय होना चाहिए, झा ने बताया कि रंगोत्सव का पर्व होली
उदय व्यापिनी चैत्र कृष्ण प्रतिपदा में मनाया जाता है. प्रेम, सौहार्द, भाईचारा का प्रतीक व रंगों का पर्व होली चैत्र कृष्ण प्रतिपदा 15 मार्च शनिवार को मनायी जायेगी.

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