
नए सत्र से छठी से आठवीं तक के बच्चों को एनसीईआरटी पाठ्यक्रम से पढ़ाया जाएगा
संवाददाता, पटना | नई शिक्षा नीति (NEP-2020) के तहत बिहार सरकार ने राज्य के सरकारी स्कूलों में कक्षा 6 से 8 तक एनसीईआरटी (NCERT) पाठ्यक्रम लागू करने का फैसला लिया है। यह बदलाव 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगा। इस कदम का उद्देश्य सरकारी स्कूलों की शिक्षा गुणवत्ता में सुधार करना और छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बेहतर तैयारी का अवसर देना है।
सरकारी स्कूलों में अब सीबीएसई जैसी पढ़ाई
एससीईआरटी (SCERT) के निदेशक सज्जन आर के अनुसार, अब तक सिर्फ सीबीएसई (CBSE) से संबद्ध स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाई जाती थीं, लेकिन अब राज्य के सरकारी स्कूलों में भी यही किताबें लागू होंगी।
हालांकि, बिहार के संदर्भ को ध्यान में रखते हुए एनसीईआरटी की किताबों में स्थानीय संस्कृति, सभ्यता, विभूतियों, पर्यटन स्थलों और ऐतिहासिक स्थलों से जुड़ी अतिरिक्त जानकारी जोड़ी गई है। बाकी सभी पाठ्यक्रम सीबीएसई की किताबों के अनुरूप रहेगा।
बिहार में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम से पढ़ने वाले छात्र
➡ 64,05,232 विद्यार्थी वर्तमान में कक्षा 6 से 8 तक नामांकित हैं, जो इस बदलाव से प्रभावित होंगे।
➡ शिक्षकों को नए पाठ्यक्रम के अनुसार पढ़ाने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
➡ मार्च के अंत तक सभी सरकारी स्कूलों में नई किताबें पहुंच जाएंगी।
परीक्षा पैटर्न में बदलाव
• सितंबर 2025 में होने वाली अर्द्धवार्षिक परीक्षा एनसीईआरटी पाठ्यक्रम के आधार पर ली जाएगी।
• मार्च 2026 में वार्षिक परीक्षा भी नए पाठ्यक्रम के अनुसार होगी।
कक्षा 9 से 12 के लिए 2026 से लागू होगी नई व्यवस्था
सरकार 2026 से कक्षा 9 से 12 तक के लिए भी एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू करने की योजना बना रही है। इससे छात्रों को सिविल सर्विस, इंजीनियरिंग, मेडिकल और CUET जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में मदद मिलेगी।
सीयूईटी यूजी 2025: आज आवेदन की अंतिम तिथि
बिहार के छात्रों के लिए यह बदलाव कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET-UG 2025) की तैयारी में भी मददगार साबित होगा।
➡ आवेदन की अंतिम तिथि: 24 मार्च 2025
➡ सुधार विंडो: 26 से 28 मार्च 2025
➡ परीक्षा तिथि: 8 मई से 1 जून 2025
इस परीक्षा में 37 विषय शामिल होंगे और यह 13 भारतीय भाषाओं में आयोजित होगी।
बिहार सरकार द्वारा लिया गया यह निर्णय राज्य के छात्रों को राष्ट्रीय स्तर की शिक्षा से जोड़ने और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी को आसान बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। नई शिक्षा नीति के तहत यह सुधार सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता को बेहतर बनाएगा और छात्रों को उज्ज्वल भविष्य के लिए तैयार करेगा।