बेतिया पुलिस लाइन में खूनी खेल! मामूली कहासुनी पर जवान ने साथी को ताबड़तोड़ गोलियों से भूना, मौके पर मौत

Tirhut News

रिपोर्ट: धीरज ठाकुर | पश्चिम चंपारण | बिहार के बेतिया पुलिस लाइन से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है, जहां एक मामूली कहासुनी के बाद सिपाही परमजीत ने अपने ही साथी जवान सोनू कुमार पर इंसास राइफल से 11 गोलियां बरसाकर उसकी जान ले ली। यह वारदात पुलिस महकमे के भीतर के तनाव, मनोवैज्ञानिक दबाव और आपसी टकराव को उजागर करती है।

क्या हुआ था उस दिन?

चश्मदीदों के मुताबिक, रविवार की सुबह पुलिस लाइन में सब कुछ सामान्य था, तभी अचानक गोलियों की आवाज़ गूंज उठी। जब तक कोई कुछ समझ पाता, सिपाही सोनू कुमार ज़मीन पर गिर चुके थे—शरीर से खून बहता हुआ। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि सिपाही परमजीत ने बेहद करीब से फायरिंग की और एक के बाद एक 11 गोलियां दाग दीं।

छत पर चढ़ गया आरोपी, घंटों चली कोशिशें

घटना के बाद सिपाही परमजीत राइफल लेकर पुलिस लाइन की छत पर चढ़ गया और वहां से किसी भी सख्ती के खिलाफ चेतावनी देता रहा। पुलिस अधिकारियों ने काफी सूझबूझ के साथ उसे घेराबंदी कर पकड़ा और उसकी राइफल जब्त की। उसे तुरंत हिरासत में लेकर मुफस्सिल थाना लाया गया।

जांच में जुटी पुलिस, डीआईजी मौके पर पहुंचे

घटना की गंभीरता को देखते हुए चंपारण रेंज के डीआईजी हरकिशोर राय मौके पर पहुंचे और घटनास्थल का निरीक्षण किया। उन्होंने मीडिया को बताया:

“प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि दोनों जवानों के बीच किसी पुराने विवाद को लेकर तनाव था, जो इस हिंसक घटना का कारण बना।”

बताया जा रहा है कि दोनों जवान हाल ही में सिकटा थाना से बेतिया पुलिस लाइन स्थानांतरित किए गए थे और एक ही यूनिट में तैनात थे।

फॉरेंसिक टीम कर रही जांच, शव बैरक में पड़ा

सोनू कुमार का शव अब भी पुलिस बैरक में ही रखा गया है। फॉरेंसिक टीम द्वारा मौके की बारीकी से जांच की जा रही है। पुलिस द्वारा घटनास्थल से मिले साक्ष्य और सीसीटीवी फुटेज की भी छानबीन जारी है।

क्यों टूटा संयम?

फिलहाल इस दुखद घटना के पीछे की सटीक वजह सामने नहीं आई है, लेकिन शुरुआती पूछताछ में यह स्पष्ट हो चुका है कि दोनों जवानों के बीच पहले से आपसी झगड़ा चल रहा था। यह मामला पुलिस बल के भीतर के दबाव और तनाव प्रबंधन पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है।

क्या सीखा जाना चाहिए इस घटना से?

इस सनसनीखेज घटना ने सिस्टम की कमजोर कड़ियों को उजागर किया है। क्या जवानों की मानसिक स्थिति पर ध्यान देना जरूरी नहीं है? क्या विभागीय संवाद और तनाव प्रबंधन को प्राथमिकता नहीं दी जानी चाहिए?

तिरहूत न्यूज इस पूरे मामले की हर छोटी-बड़ी अपडेट आप तक पहुंचाता रहेगा। जुड़े रहिए हमारे साथ।

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