रेल प्रशासन द्वारा तोड़े गए दो मंदिरों के विरुद्ध जनहित याचिका दायर, आचार्य पाराशर ने पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाय

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तिरहूत न्यूज़ डेस्क | मुजफ्फरपुर

Muzaffarpur News: मुजफ्फरपुर जंक्शन से सटे स्टेशन रोड स्थित दो ऐतिहासिक मंदिरों को रेलवे द्वारा तोड़े जाने के विरुद्ध मंदिर नवनिर्माण समन्वय समिति के अध्यक्ष आचार्य चंद्र किशोर पाराशर ने पटना उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की है। यह याचिका उनके अधिवक्ता विजय कुमार सिंह के माध्यम से आर्टिकल 226 के अंतर्गत दाखिल की गई, जिसे माननीय न्यायालय ने सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है।

जनहित याचिका में रेल मंत्रालय के सचिव, पूर्व मध्य रेलवे हाजीपुर के महाप्रबंधक, मंडल रेल प्रबंधक सोनपुर, स्टेशन अधीक्षक मुजफ्फरपुर, एरिया अधीक्षक, सहायक अभियंता, बिहार सरकार के मुख्य सचिव, जिला अधिकारी मुजफ्फरपुर, और वरिष्ठ आरक्षण अधीक्षक को प्रतिवादी बनाया गया है।

याचिका में आरोप है कि 10 मार्च 2025 की रात, मुजफ्फरपुर जंक्शन के उत्तर परिसर स्थित सेट खाता संख्या 355, खेसरा संख्या 177, रकबा 55 डिसमिल में बने शिव मंदिर (प्रसिद्ध कुली मंदिर), दुर्गा मंदिर और महावीर मंदिर को बिना किसी पूर्व सूचना और वैध प्रक्रिया के रेलवे प्रशासन ने जबरन गिरा दिया। याचिकाकर्ता के अनुसार, यह भूमि बिहार सरकार की है और मंदिर स्वतंत्रता से पूर्व से स्थानीय श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र रहे हैं।

आचार्य पाराशर ने आरोप लगाया कि मंदिर ध्वस्त करने की कार्रवाई के दौरान देवी-देवताओं की मूर्तियां, आभूषण और अन्य सामग्री भी नष्ट या लूट ली गईं।

उन्होंने बताया कि विगत दो महीनों से मंदिर के पुनर्निर्माण की मांग को लेकर कई हिन्दूवादी संगठनों के साथ आंदोलन चलाया जा रहा है और रेल प्रशासन को कई बार ज्ञापन भी सौंपे गए हैं। परंतु प्रशासन की चुप्पी के बाद अब न्यायालय से न्याय की उम्मीद की जा रही है।

आचार्य पाराशर ने यह भी स्पष्ट किया कि मंदिर निर्माण हेतु जनसंपर्क और आंदोलन भविष्य में भी जारी रहेगा।

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