दारोगा और होमगार्ड जाम छलकाते रंगेहाथ पकड़े गए, सारण एसएसपी ने भेजा जेल

Tirhut News

छपरा में तीन हत्याओं के बाद भी नाका पर शराब पार्टी, गंडक कॉलोनी से हुए गिरफ्तार

📍 रिपोर्ट: पंकज श्रीवास्तव, तिरहूत न्यूज, छपरा

छपरा: सारण जिले की कानून-व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में है। गंडक कॉलोनी नाका पर जहां हाल ही में एक जाति विशेष के युवक की हत्या हुई थी, वहीं उसी नाके पर तैनात पुलिस अवर निरीक्षक (SI) और होमगार्ड जवान शराब पीते हुए रंगेहाथ पकड़े गए।

घटना 29 मई की है, जब सारण एसएसपी डॉ. कुमार आशीष ने गुप्त सूचना के आधार पर नाका नंबर-1 पर छापेमारी की। इस छापेमारी में SI श्याम बिहारी पांडे, होमगार्ड जवान विराट राज आनंद समेत तीन अन्य व्यक्ति शराब के नशे में धुत पाए गए। मौके से दो बोतल अंग्रेजी शराब (180ml) और करीब 600ml विदेशी शराब के साथ छह गिलास बरामद किए गए।

कौन-कौन गिरफ्तार हुआ?

सारण पुलिस की प्रेस विज्ञप्ति (दिनांक: 30/05/25, समय: 22:48) के अनुसार, गिरफ्तार पांचों आरोपी हैं:

• श्याम बिहारी पांडे – प्रभारी, नाका नंबर 1, भगवान बाजार थाना

• विराट राज आनंद – गृह रक्षक (होमगार्ड)

• आशीष कुमार मिश्रा, पिता: मिथिलेश मिश्रा, निवासी: रोजा पश्चिम, थाना नगर

• पवन कुमार चंदन, पिता: देवनंदन राय, निवासी: घेघटा, थाना मुफस्सिल

• अनिल कुमार, पिता: श्याम बहादुर राय, निवासी: सखी नई बाजार, थाना भगवान बाजार

तीन हत्याओं से दहला छपरा, फिर भी पुलिस मस्त!

बीते 48 घंटे में तीन हत्या की घटनाओं से छपरा थर्राया हुआ है, लेकिन पुलिस के कुछ अधिकारी अपने कर्तव्य को छोड़ शराब के नशे में झूमते दिखे। जिस गंडक कॉलोनी में एक युवक की हत्या हुई, वहीं उसी क्षेत्र के पुलिस प्रभारी का शराब पीते पकड़ा जाना प्रशासन के लिए शर्मनाक स्थिति है।

एसएसपी की त्वरित कार्रवाई:

• SI श्याम बिहारी पांडे को तत्काल निलंबित कर विभागीय कार्रवाई हेतु 7 दिनों में स्पष्टीकरण मांगा गया है।

• होमगार्ड जवान विराट राज आनंद को आजीवन सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है।

• बाकी तीनों आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है।

लोगों में बढ़ रहा आक्रोश:

इस घटना के बाद लोगों का कहना है कि छपरा में एक बार फिर जंगलराज लौट आया है। पुलिस पर से लोगों का भरोसा डगमगाने लगा है। हत्या के मामलों में कोई ठोस कार्रवाई नहीं होना और पुलिसकर्मी खुद शराब के नशे में पकड़े जाना, साफ इशारा करता है कि तंत्र पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है।

निष्कर्ष:

इस घटना ने बिहार की शराबबंदी नीति और पुलिसिंग व्यवस्था की पोल खोल दी है। जब जिम्मेदार अधिकारी ही कानून तोड़ते नज़र आएं, तो आम जनता की सुरक्षा की उम्मीद कैसे की जाए?

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