

रेप पीड़िता की मौत से आहत बीजेपी प्रवक्ता असितनाथ तिवारी ने दिया इस्तीफा, कहा- ‘मानवीय गरिमा से बड़ा कुछ नहीं’
📍पटना | रिपोर्ट: धीरज ठाकुर | तिरहूत न्यूज़
बिहार में कानून-व्यवस्था को लेकर उठते सवालों के बीच भारतीय जनता पार्टी को चुनावी साल में बड़ा झटका लगा है। बीजेपी के तेज़-तर्रार प्रवक्ता असितनाथ तिवारी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (PMCH) में रेप पीड़िता की इलाज के अभाव में मौत से आहत होकर यह निर्णय लिया।
फेसबुक पर सार्वजनिक किए गए इस्तीफा पत्र में असितनाथ तिवारी ने अपनी ही सरकार पर तीखे सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने लिखा—
“पीएमसीएच में एंबुलेंस में तड़पती बच्ची को बेड नहीं मिला। मैंने आवाज़ उठाई तो पार्टी नेताओं को मुझसे नाराज़गी हो गई। लेकिन मैं बलात्कारी और भ्रष्ट सिस्टम पर चुप नहीं रह सकता। मैं निजी स्वार्थ को मानवीय गरिमा से ऊपर नहीं रख सकता।”
उन्होंने बीजेपी के वरिष्ठ नेता और प्रदेश संगठन महामंत्री दिलीप जायसवाल को निशाने पर लेते हुए कहा कि
“आप आम आदमी की पीड़ा नहीं समझ सकते क्योंकि आप खुद पीड़ित नहीं होते।”
राजनीतिक सफर: कांग्रेस से बीजेपी तक और अब आगे…?
असितनाथ तिवारी मूल रूप से पश्चिम चंपारण के बेतिया के रहने वाले हैं। पत्रकारिता की शुरुआत उन्होंने दैनिक जागरण की मुजफ्फरपुर यूनिट से की। टीवी पत्रकारिता में भी उन्होंने महुआ टीवी, मौर्य टीवी, समाचार प्लस, K News इंडिया और Zee News Hindi जैसे चैनलों में काम किया।
राजनीति में उन्होंने वर्ष 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले प्रवेश लिया था। शुरुआत में कांग्रेस से जुड़े, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी का दामन थाम लिया था।
हालांकि अब यह स्पष्ट नहीं है कि उनका अगला राजनीतिक कदम क्या होगा। कयास लगाए जा रहे हैं कि वे प्रशांत किशोर के जन सुराज अभियान में शामिल हो सकते हैं या फिर कांग्रेस में वापसी कर सकते हैं।
बीजेपी ने जताया तटस्थ रुख, लेकिन सवाल खड़े
बीजेपी सूत्रों का कहना है कि असितनाथ तिवारी के इस्तीफे से पार्टी को कोई विशेष नुकसान नहीं होगा। लेकिन जानकारों का मानना है कि मीडिया पैनल में जिस दमदारी से असितनाथ पार्टी का पक्ष रखते थे, उसकी भरपाई करना आसान नहीं होगा।
बिहार जैसे राज्य में, जहां अपराध, महिला सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं लगातार आलोचना का विषय बनी हुई हैं, ऐसे वक्त में असितनाथ तिवारी का इस्तीफा बीजेपी के लिए नैतिक चुनौती खड़ी कर सकता है।