दाखिल-खारिज में 32% आवेदन रिजेक्ट फिर भी दावा—97% से ज़्यादा काम पूरा!

Tirhut News

सीओ कर रहे ‘खेल’: दाखिल-खारिज के 32% आवेदन रिजेक्ट, फिर भी 97% से अधिक उपलब्धि का दावा
बिहार सरकार के ऑनलाइन दाखिल-खारिज सिस्टम में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां सामने आ रही हैं। मुजफ्फरपुर समेत राज्य भर में अधिकारियों द्वारा करीब 32% आवेदन रिजेक्ट किए गए, फिर भी वे 97% से अधिक उपलब्धि का दावा कर रहे हैं। ये आंकड़े 26 मई 2025 तक के हैं।
राज्य सरकार द्वारा पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए ऑनलाइन दाखिल-खारिज व्यवस्था लागू की गई थी, लेकिन ज़मीनी हकीकत इसके ठीक उलट है। 26 मई 2025 तक पूरे राज्य में कुल 7,24,552 आवेदन दाखिल हुए। इनमें से 2,31,676 आवेदन रिजेक्ट कर दिए गए, जबकि 4,80,847 पर दाखिल-खारिज की कार्रवाई की गई

सीओ द्वारा रिजेक्ट किए गए 32% आवेदनों को भी “उपलब्ध” मान लिया गया है, जिससे आंकड़ों में 97% से अधिक की झूठी उपलब्धि दर्शाई जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, 4065 आवेदन 35 दिन से अधिक समय से लंबित हैं, जबकि 4180 आवेदन 75 दिन से ज्यादा समय से पेंडिंग हैं।

जिला स्तर पर स्थिति (मुजफ्फरपुर प्रमंडल के प्रमुख जिले):

| जिला | कुल आवेदन | निष्पादन | रिजेक्ट |

|——-|————-|————-|———–|

| मुजफ्फरपुर | 70,938 | 48,602 | 19,177 |

| सीतामढ़ी | 66,235 | 42,960 | 18,805 |

| पूर्वी चंपारण | 56,071 | 37,555 | 17,675 |

| पश्चिम चंपारण | 48,297 | 30,604 | 13,510 |

इन जिलों में आवेदन रिजेक्ट करने की दर 25% से अधिक है, बावजूद इसके सीओ अपने विभाग की ‘उपलब्धि’ बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहे हैं।

दाखिल-खारिज के डिजिटल सिस्टम की पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। जनता को त्वरित और न्यायसंगत सेवा देने के बजाय आंकड़ों की बाजीगरी कर अधिकारियों द्वारा सिस्टम को गुमराह किया जा रहा है। सरकार को चाहिए कि ऐसे मामलों की गहन जांच कर दोषियों पर कार्रवाई सुनिश्चित करे।

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