

इस दिन से सरकार आपके घर जाकर पूछेगी जाति! सामने आई तारीख, जानिए इसके पीछे की राजनीति
नई दिल्ली, 5 जून 2025:
भारत में लंबे समय से टलती आ रही जातिगत जनगणना की तारीख अब तय हो चुकी है। केंद्र सरकार ने इसे दो चरणों में कराने का फैसला लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इसे मंजूरी दी गई। यह स्वतंत्र भारत की पहली आधिकारिक जातिगत जनगणना होगी।
📅 जातिगत जनगणना की तारीखें:
• पहला चरण: 1 अक्टूबर 2026 से
(उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, जम्मू-कश्मीर जैसे पर्वतीय राज्यों में)
• दूसरा चरण: 1 मार्च 2027 से
(शेष भारत के सभी राज्यों में)
🔍 पीएम मोदी ने क्या कहा?
प्रधानमंत्री मोदी ने 30 अप्रैल 2025 को सार्वजनिक रूप से जातिगत जनगणना की घोषणा की थी। इसके बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पुष्टि की कि इस बार नागरिकों से उनकी जाति भी पूछी जाएगी।
😷 कोविड के कारण पिछड़ी थी जनगणना
हर 10 साल पर होने वाली जनगणना 2021 में होनी थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण टाल दी गई। अब इसके साथ जातिगत डेटा भी शामिल किया जा रहा है।
🧭 भारत में जातिगत जनगणना का इतिहास
वर्षविवरण1881पहली जातिगत जनगणना1931पिछड़ी जातियों की आखिरी गणना1941आंकड़े जुटे, लेकिन प्रकाशित नहीं हुए1951-2011केवल SC/ST आंकड़े शामिल, OBC शामिल नहीं
📝 2011 की जनगणना में क्या पूछा गया था?
2011 की जनगणना में केवल SC/ST के लिए जाति कॉलम था। इस बार के फॉर्म में होंगे करीब 30 सवाल, जैसे:
• नाम, लिंग, माता-पिता का नाम
• जन्मतिथि, वैवाहिक स्थिति
• स्थायी और वर्तमान पता
• परिवार के मुखिया से संबंध
• अब सभी से उनकी जाति भी पूछी जाएगी
🧠 जातिगत जनगणना के राजनीतिक मायने
• विपक्ष, खासकर राहुल गांधी लंबे समय से जातिगत जनगणना की मांग कर रहे थे।
• भाजपा शुरू में इस पर स्पष्ट नहीं थी, लेकिन जब RSS ने समर्थन किया तो नीति बदलती दिखी।
• अब सरकार ने इसे राजनीतिक दबाव और सामाजिक संतुलन के बीच एक रणनीतिक फैसला बना दिया है।
🗨 विपक्ष ने साधा निशाना
कांग्रेस ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वो सिर्फ “हेडलाइंस” बनाने में माहिर है, लेकिन “डेडलाइन्स” निभाने में नहीं।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा:
“23 महीनों की देरी बताती है कि सरकार समय पर जनगणना कराने में असमर्थ है।”
🔚 निष्कर्ष:
जातिगत जनगणना एक ऐतिहासिक कदम है, जो देश की सामाजिक संरचना, सरकारी योजनाओं और आरक्षण नीति पर व्यापक असर डाल सकता है। लेकिन इसके पीछे की राजनीति और समय पर इसे लागू करने की क्षमता पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं।
📢 क्या कहते हैं आप?
क्या जातिगत जनगणना से देश में सामाजिक न्याय मजबूत होगा या इससे समाज में नई खाई पैदा होगी?
अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं।