“सत्ता नहीं, बदलाव चाहिए” — छपरा में बोले प्रशांत किशोर

Tirhut News

📝 रिपोर्ट: पंकज श्रीवास्तव, तिरहूत न्यूज़ | स्थान: छपरा, बिहार

छपरा, 5 जून 2025:

सत्ता में आना मेरा लक्ष्य नहीं है। अगर मेरी पार्टी का उम्मीदवार गलत व्यक्ति हो तो उसे वोट मत दीजिए। बल्कि जो भी अच्छा इंसान हो, चाहे किसी भी दल से हो — उसे विधानसभा और संसद भेजिए। यही मेरी सबसे बड़ी जीत होगी।”

यह बातें जनसुराज नेता प्रशांत किशोर ने छपरा सर्किट हाउस में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहीं।

🔹 बदलाव की बात, सत्ता से इनकार

प्रशांत किशोर ने कहा कि वह सत्ता की राजनीति नहीं कर रहे हैं, बल्कि जनता को सोच-समझकर मतदान करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उन्होंने साफ कहा कि बिहार की राजनीति को अब नए और स्वच्छ लोगों की जरूरत है।

“लालू, नीतीश, रामविलास और सुशील मोदी जैसे नेताओं का दौर अब खत्म हो गया है। अब नई पीढ़ी को मौका मिलना चाहिए।”

🔹 चिराग पासवान पर निशाना

चिराग पासवान की सक्रियता पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा:

“अगर वे बिहार की राजनीति करना चाहते हैं तो संसद से इस्तीफा दें और पूरी तरह यहीं सक्रिय हों। दो नावों पर सवारी नहीं चलेगी।”

🔹 बिहार की सबसे बड़ी समस्या – पलायन

प्रशांत किशोर ने बिहार से श्रमिकों के पलायन को सबसे बड़ी समस्या बताया।

“मोदी जी सहरसा से श्रमिक एक्सप्रेस चलवाते हैं, पर कोई यह नहीं सोचता कि बिहार में ही मजदूरों को काम कैसे मिले।”

🔹 मुजफ्फरपुर की बच्ची के साथ अन्याय

उन्होंने कहा कि मुजफ्फरपुर में जो घटना हुई, वह निर्भया से भी बड़ी त्रासदी है।

“पीड़िता एंबुलेंस में घंटों तड़पती रही लेकिन अस्पताल में उसे बेड तक नहीं मिला। इससे बड़ी शर्म की बात क्या हो सकती है?”

🔹 मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सवाल

प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री पर सीधा हमला बोला:

“अगर नीतीश कुमार सच में स्वस्थ हैं तो उनका मेडिकल बुलेटिन जारी करें। वे शारीरिक और मानसिक रूप से फिट नहीं लगते।”

🔹 जनता से अपील: पार्टी नहीं, व्यक्ति देखिए

प्रशांत किशोर ने जनता से अपील करते हुए कहा —

“मैं यह नहीं कहता कि आप सिर्फ जनसुराज को वोट दें। मगर इतना जरूर कहता हूं कि आप अपने बच्चों के भविष्य को देखकर वोट दीजिए।”

🔚 प्रशांत किशोर का यह बयान ऐसे समय में आया है जब बिहार की राजनीति में बदलाव की मांग ज़ोर पकड़ रही है। जनसुराज अब एक विचार बनकर उभर रहा है — जहां व्यक्ति की छवि, ईमानदारी और सोच को प्राथमिकता दी जा रही है, न कि केवल पार्टी को।

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