

“जब 70% आबादी मुस्लिम हो और फिर भी हिजाब बैन हो — कजाकिस्तान ने उठाया ऐसा कदम जिससे मचा बवाल।”
अभय कुमार, तिरहूत न्यूज़ डेस्क | अंतरराष्ट्रीय ख़बर
कजाकिस्तान सरकार ने एक नया कानून पारित किया है, जिसके तहत सार्वजनिक स्कूलों और संस्थानों में मुस्लिम महिलाओं के हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब देश की 70% आबादी मुस्लिम धर्म को मानने वाली है।
क्या है नया कानून?
राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट टोकायव ने हाल ही में इस कानून पर हस्ताक्षर किए, जिसके अनुसार ऐसे कपड़े पहनना प्रतिबंधित होगा जो “धार्मिक पहचान को बढ़ावा देते हों और सार्वजनिक स्थानों पर अलगाव को जन्म देते हों”। सरकार का तर्क है कि यह कदम “धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्रीय एकता” के हित में उठाया गया है।
📌 धार्मिक संगठनों का विरोध
इस फैसले के बाद कजाकिस्तान के कई धार्मिक संगठनों और मुस्लिम समुदायों में असंतोष देखा जा रहा है। उनका मानना है कि यह धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है और इस तरह के फैसले से इस्लामोफोबिया को बल मिल सकता है।
पहले भी लगाया गया था बैन
इससे पहले 2023 में सरकार ने स्कूलों में हिजाब पहनने पर रोक लगा दी थी, लेकिन तब यह आदेश केवल शैक्षणिक संस्थानों तक सीमित था। अब यह प्रतिबंध व्यापक रूप से लागू किया गया है।
🌐 अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया?
मानवाधिकार संगठनों ने इस निर्णय की आलोचना करते हुए कहा है कि यह महिलाओं की व्यक्तिगत स्वतंत्रता में हस्तक्षेप है। कई संगठन इसे यूएन मानवाधिकार नियमों के खिलाफ मान रहे हैं।
🔗 सवाल यह उठता है:
क्या धर्मनिरपेक्षता के नाम पर धार्मिक पहचान पर रोक उचित है?
क्या यह फैसला धार्मिक स्वतंत्रता पर चोट नहीं है?
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