

वोटबंदी की साजिश के खिलाफ भाकपा-माले का मताधिकार बचाओ अभियान, 9 जुलाई को चक्का जाम का ऐलान
मुजफ्फरपुर: विशेष मतदाता पुनरीक्षण अभियान के नाम पर गरीबों, मजदूरों और अल्पसंख्यकों को मतदाता सूची से बाहर करने की कथित साजिश के खिलाफ भाकपा-माले ने राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ दिया है। माले ने इसे लोकतंत्र और मताधिकार पर हमला बताया है और 9 जुलाई को आम हड़ताल व चक्का जाम का आह्वान किया है।
भाकपा-माले मुजफ्फरपुर जिला कमिटी की बैठक दिवान रोड स्थित किरणश्री भवन में संपन्न हुई, जिसमें पार्टी के नेताओं और सहयोगी संगठनों ने मतदाता पुनरीक्षण अभियान के खिलाफ आंदोलन तेज करने का निर्णय लिया। बैठक में पार्टी जिला सचिव कृष्णमोहन, ट्रेड यूनियन ऐक्टू के मनोज यादव, ऐपवा की रानी प्रसाद, किसान महासभा के जितेन्द्र यादव, आइसा के आफताब आलम सहित कई नेताओं ने भाग लिया।
बैठक में कहा गया कि विशेष मतदाता पुनरीक्षण अभियान की आड़ में गरीबों, महिलाओं, प्रवासी मजदूरों और अल्पसंख्यकों को जानबूझकर मतदाता सूची से हटाया जा रहा है। माले नेताओं ने आरोप लगाया कि जिन दस्तावेजों की मांग की जा रही है, वे आम गरीबों के पास उपलब्ध नहीं हैं। यहां तक कि आधार कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड और जाति प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेजों को भी अस्वीकार किया जा रहा है।
माले ने चुनाव आयोग की भूमिका पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि घोषित 11 दस्तावेजों में से 3 बिहार में लागू ही नहीं हैं। इससे स्पष्ट होता है कि यह पूरी प्रक्रिया गरीबों और पिछड़े वर्गों के वोटिंग अधिकार छीनने की एक साजिश है।
पार्टी ने भाजपा-जदयू की सरकार पर हमला करते हुए पूछा कि यदि ये दल वास्तव में गरीबों और दलितों के हितैषी हैं तो वे इस वोटबंदी प्रक्रिया पर चुप क्यों हैं? खासकर दलित नेताओं चिराग पासवान और जीतनराम मांझी की चुप्पी पर भी सवाल उठाए गए।
माले ने जानकारी दी कि 9 जुलाई को आम हड़ताल के दौरान शहर से लेकर प्रखंड स्तर तक विरोध मार्च, चक्का जाम और नुक्कड़ सभाएं आयोजित की जाएंगी। इसमें ट्रेड यूनियनों, किसान संगठनों, स्कीम वर्कर्स और छात्र-नौजवानों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
भाकपा-माले ने मांग की है कि विशेष मतदाता पुनरीक्षण की यह प्रक्रिया तत्काल रोकी जाए और आगामी विधानसभा चुनाव पुरानी मतदाता सूची के आधार पर कराए जाएं। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो पार्टी ने और बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है।